नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में यूपीएससी (UPSC Aspirants) अभ्यर्थियों द्वारा याचिका (plea) दायर की गई थी, जिसमें अभ्यार्थियों ने सिविल सर्विसेज एग्जाम (Civil services exam) में एक अतिरिक्त प्रयास (extra attempts) की मांग की थी। फिलहाल पूरे देश में कोरोना महामारी होने के कारण कई अभ्यार्थी ऐसे थे, जो यूपीएससी की परीक्षा में भाग नहीं ले पाए, इसलिए उन्होंने अपनी मांग सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए कि याचिका दायर की और एक अन्य प्रयास की मांग की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट 21 मार्च को सुनवाई(to hear) करने वाला है।
यह भी पढ़े… MP: जल्दी करें आवेदन! एक्सिलेंस और मॉडल स्कूलों के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख नजदीक..
ए .एम खानविलकर और सीटी रविकुमार कि बेंच ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (Union public service commission) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने के लिए कुछ समय की मांग की है। साथ ही साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर एक एफिडेविट (Affidavit) दर्ज करने की मांग की है। इस दौरान सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण याचिकाकर्ताओं की ओर से सुनवाई में शामिल होंगे। बता दें कि तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों द्वारा याचिका दायर करवाई गई थी।
यह भी पढ़े… New Launch: इस महीने OnePlus का नया फोन होगा लॉन्च, जाने कीमत और अन्य फीचर्स
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जनवरी 2022 में आयोजित होने वाली यूपीएससी की मेंस ( CSE MAINS) परीक्षाओं में वह शामिल होने वाले थे, लेकिन कोरोना पॉजिटिव (covid positive) होने के कारण वह सरकार की दिशा निर्देश के तहत क्वारंटाइन में थे, जिस कारण परीक्षा में अपनी भागीदारी नहीं निभा पाए। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अतिरिक्त प्रयास की मांग रखी है। साथ ही याचिकाकर्ताओं के मुताबिक आर्टिकल 14 और 16 (Article 14 and 16) के तहत सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में उनके अधिकारों का खनन हुआ है।