रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता व सातवें वेतनमान की मांग को लेकर हड़ताल पर जाना महंगा पड़ गया है। राज्य सरकार ने हड़ताल पर गए कर्मचारियों के लिए बड़ी कार्रवाई करते हुए वेतन काटने के निर्देश दिए है। वही सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर सभी कलेक्टरों व विभागाध्यक्षों को हड़ताल, धरना और सामूहिक अवकाश पर चल रहे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
राज्य के सरकारी कर्मचारी केंद्र के समान महंगाई भत्ता (डीए) और एचआरए की मांग को लेकर 25 जुलाई से हड़ताल कर रहे है। कर्मचारियों को कहना है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के तहत ना तो महंगाई भत्ता मिल रहा है और ना ही भाड़ा भत्ता, ऐसे में हर महीने 4000 से 14000 का नुकसान हर कर्मचारी को हो रहा है, ऐसे में लंबे समय से मांग के पूरा ना किए जाने पर कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वर्तमान में 70 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी संगठन 25 से 29 जुलाई तक कलम बंद काम बंद हड़ताल पर हैं। शनिवार व रविवार को अवकाश है और अब वे 1 अगस्त को सरकारी दफ्तरों में लौटेंगे। इधर, कर्मचारियों के हड़ताल पर जाते ही राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने कार्रवाई कर दी। राज्य सरकार ने साफ कहा है कि 5 दिन की हड़ताल अवधि का वेतन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। इस तरह हड़ताल करने वालों का सामूहिक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा। जितने दिन कर्मचारी हड़ताल पर रहे हैं, उस अवधि को ब्रेक इन सर्विस माना जाएगा।
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के 5 लाख हड़ताली अधिकारी-कर्मचारियों को 2006 का एक आदेश याद दिलाया है।महानदी भवन मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव मेरी खेस्स ने एक ताजा आदेश जारी कर कहा है कि 10 अप्रैल 2006 को परिपत्र जारी किया गया था, उसके तहत दिए गए निर्देशों के अनुसार हड़ताली कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
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(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)