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नतीजतन हिंसक प्रदर्शन में करीब 20 पुलिसकर्मी घायल (policeman injured) हो गए। प्लांट के कर्मचारी पिछले कई दिनों से छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी की ओर से संचालित इस प्लांट में खुद की सेवाएं नियमित किए जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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प्रदर्शन तब हिंसक हो गया, जब पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने उन्हें क्षेत्र और राज्य में कोविड-19 के मामले बढ़ने का हवाला देते हुए वहां से हटने और प्रदर्शन खत्म करने को कहा। जांजगीर-चांपा के पुलिस अधीक्षक प्रशांत ठाकुर ने कहा कि घटना में 20 पुलिसकर्मियों को चोट आई है और कई पुलिस वाहनों की खिड़कियों के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। एक निजी वाहन में भी आग लगा दी गई।
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पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को चार जनवरी को छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी के अध्यक्ष से बात करनी थी, पर वे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रविवार को बात करने पर अड गये।बाद में जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई इसके बावजूद भी प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन जारी रखा।
डीएम जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू है, हमने उन्हें सूचित किया कि इस प्रकार का विरोध सही नहीं है। कई लोग फैक्ट्री के अंदर फंस गए थे, इसलिए हमने उन्हें साइड में विरोध करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मजबूरन पुलिस को पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा। पथराव में पुलिस की गाड़ी सहित एक निजी वाहन क्षतिग्रस्त हुआ है। साथ ही 20 से अधिक कर्मचारी घायल हुए हैं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।