कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, पुरानी पेंशन योजना पर ताजा अपडेट, वित्त मंत्री का बड़ा बयान, जानें लाभ मिलेगा या नहीं?

छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। राज्य में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) नहीं बंद होगी। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि फिलहाल राज्य में ओपीएस लागू रहेगी, इसमें बदलाव का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।

Pooja Khodani
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OLD PENSION SCHEME

Chhattisgarh OPS vs NPS 2024 : छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य में कांग्रेस सरकार में लागू की गई पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बंद नहीं की जाएगी । इसकी पुष्टि खुद वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में की। उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य में ओपीएस लागू रहेगी, राज्य सरकार का इसमें बदलाव करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

विधायक ने एनपीएस-ओपीएस पर उठाया मुद्दा

दरअसल, सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकारी कर्मचारियों के पेंशन योजना का मुद्दा उठाया गया। भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने भावना बोहरा और कांग्रेस की शेषनाग हरवंश ने शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों के पेंशन सुविधा का मामला उठाया।

बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने पूछा कि अधिकारी कर्मचारियों के लिए NPS के स्थान पर OPS पेंशन योजना कब शुरु होगी। विधायक भावना वोरा ने पूछा कि OPS की सहमति देने वाले कर्मचारी और अधिकारियों के NPS खाते में नियमित राशि प्रतिमाह जमा नहीं होने पर उनके खातों को नियमित/जीवित रखने के लिए NPS में क्या प्रावधान है?

वित्त मंत्री ने दिया ये जवाब

इस पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि जो ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की गई है, उसमें पीएफआरडीए से कुल 19 हजार 136 करोड़ रुपए राज्य को प्राप्त होने हैं, ना की केन्द्र सरकार से।OPS की सहमति देने वाले कर्मचारी और अधिकारियों के लिए NPS खाते में नियमित राशि प्रतिमाह जमा नहीं होने पर उनके खाते को नियमित और जीवित रखने के संबंध में PFRDA अधिनियम में खाते के अप्रचलित होने संबंधी प्रावधान नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान में NPS विकल्प का चयन करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के वेतन से ही NPS योजना के प्रावधान अनुसार नियमित कटौती की जा रही है। NSDL में जमा की गई राशि में से शासकीय अंशदान एवं उस पर आहरण दिनांक तक अर्जित लाभांश की राशि शासकीय सेवक के मृत्यु/सेवानिवृत्त होने पर उनके NPS खाते के अंतिम भुगतान से शासकीय कोष में जमा की जावेगी।

जानिए क्या अंतर है OPS और NPS में

  • OPS में सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम बतौर पेंशन ताउम्र सरकार के राजकोष से दी जाती है। OPS में हर साल दो बार महंगाई भत्ता भी बढ़कर मिलता है,पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार के पेंशन दिए जाना भी ओपीएस में शामिल हैं।
  • OPS में पेंशन लेने वाले शख्स के 80 साल का होने पर मूल पेंशन में 20 फीसदी की वृद्धि होती है, इस तरह से पेंशनधारक के 85 की उम्र में 30 फीसदी, 90 की उम्र में 40 फीसदी, 95 की उम्र में 50 फीसदी और 100 की उम्र होने पर 100 फीसदी बढ़ता है।पेंशनधारक की उम्र 100 तक पहुंचने पर पेंशन की रकम दोगुनी हो जाती है।
  • नई पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10 फीसदी देना होता है और इसमें राज्य सरकार केवल 14 फीसदी का ही योगदान देती है।नई पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।
  • NPS शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है।NPS में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है।
  • OPS में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है।NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है।OPS में कर्मचारी के रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर उसे किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता।पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का फायदा भी रिटायर कर्मचारी को मिलता है।
  • OPS के विपरीत नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा,आपको उसपर टैक्स देना होता है।ओपीएस में कर्मचारियों के लिए 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू किया जाता है।न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में 6 महीने के उपरांत मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू नहीं होता है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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