भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से चार कोरोना संक्रमित मरीजो की मौत हो गई। हालांकि कॉलेज प्रबंधन इसकी वजह मरीजों की गंभीर हालत बता रहा है, लेकिन एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ की पड़ताल बताती है कि इस पूरी घटना के पीछे कॉलेज प्रबंधन की कितनी बड़ी लापरवाही थी।
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कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन रामबाण होती है जो संक्रमित हो चुके फेफड़ों को मदद कर व्यक्ति की जिंदगी बचाने का काम करती है। लेकिन जब इसी ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाए तो क्या हो !बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में ऐसा ही दर्दनाक हादसा हुआ। ऑक्सीजन सप्लाई की कमी के चलते अस्पताल में 4 मरीजों ने दम तोड़ दिया। दरअसल इस मेडिकल कॉलेज की सेंट्रल लाइन में पिछले तीन दिनों से ऑक्सीजन नहीं थी। जंबो सिलेंडरों के माध्यम से सेंट्रल लाइन में सप्लाई की जा रही थी। मंगलवार की रात जब ऑक्सीजन का प्रेशर कम हुआ और इसके चलते सुबह प्लांट की इमरजेंसी लाइन में आग लग गई। ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हुई और जब तक व्यवस्था शुरू की जाती तब तक चार मरीजों की मौत हो गई। वह तो गनीमत रही कि एन आई सी यू में भर्ती नवजात मरीजों को आक्सीजन सिलेंडरों के साथ जिला चिकित्सालय में शिफ्ट किया गया जिससे उनकी जान बच गई। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन आर एस वर्मा का कहना है ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई। जो भी खत्म हुए उनकी हालत बहुत गंभीर थी।
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अब सुनिए लापरवाही की इंतहा। सागर के जिला चिकित्सालय में 19 बेड का आईसीयू बनकर तैयार है और खाली पड़ा है। वहां पर ऑक्सीजन सप्लाई की पर्याप्त व्यवस्था है। जब तीन दिन से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो रही थी तो आपसी सामंजस्य करके गंभीर मरीजों को वहां शिफ्ट किया सकता था। इतना ही नहीं जिला चिकित्सालय में भारी संख्या में जंबो सिलेंडर भी मौजूद थे जिनके माध्यम से भी बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सकती थी ।जिस ठेकेदार के माध्यम से जिला चिकित्सालय में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है उसके पास भी ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा थी। लेकिन डीन अपने ठेकेदार के ऊपर ही निर्भर रहे और जिसके चलते मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी बढ़ती चली गई। यानी साफ तौर पर इस घटना के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार है जिसने घटना का इंतजार किया बजाय इसके कि वैकल्पिक स्थानों से ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती ताकि मरीजों की जान न जा पाती। सागर का जिला चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज के पास में ही स्थित है। यहां पर आईसीयू के 19 और अन्य लगभग 38 ऐसे बेड हैं जिनमें सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई होती है। यहां पर सामंजस्य की कमी भी नजर आई। जिला चिकित्सालय चिकित्सा विभाग के अंतर्गत आते हैं जबकि मेडिकल कॉलेज चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत। यदि दोनों अधिकारी यानी सागर मेडिकल कॉलेज के डीन और जिला चिकित्सालय के सीएमएचओ मिलकर बात करते और मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के चलते जिन मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो रही थी उन्हें दो दिन पहले ही जिला चिकित्सालय में शिफ्ट कर दिया जाता तो शायद चार मरीजों की जिंदगी बच जाती। लेकिन न जाने प्रबंधन किसका इंतजार करता रहा और चार घरों के चिराग बुझ गए।
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मुख्यमंत्री ने बुधवार को ही स्वास्थ्य आग्रह समाप्ति के बाद प्रेस से बातचीत करते हुए इस बात के निर्देश दिए थे कि किसी भी स्थिति में ऑक्सीजन या अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बाधित ना हो पाए और अधिकारी इसे सुनिश्चित करें बावजूद इसके सागर की इस घटना ने एक बार फिर अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है
हंगामा pic.twitter.com/Em7YhRMB27
— MP Breaking News (@mpbreakingnews) April 8, 2021