मंत्री की सिफारिश पर जुड़ा सूची में नाम, अस्पताल को मिलने से पहले ही रेमडेसिवीर गायब?

Atul Saxena
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भिण्ड, गणेश भारद्वाज। कोरोना (Corona) की बीमारी में जीवन रक्षक माने जाने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) की मारामारी ने हालात बिगाड़ दिए हैं, मंत्री की सिफारिश के बावजूद रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, इतना ही नहीं जैसे तैसे डिमांड सूची में नाम भी जुड़ जायर तो रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) अस्पताल पहुँचने से पहले ही गायब हो जाते हैं. ताजा मामला भिंड के एक भाजपा कार्यकर्ता से जुड़ा है।

भिंड जिले के सोनी गांव के निवासी भानु प्रताप सिंह चौहान कोरोना पॉजिटव है। सीटी स्कैन रिपोर्ट में 40 प्रतिशत से अधिक फेफड़ों में इन्फेक्शन है। भानु ग्वालियर के नारायण अस्पताल में भर्ती है उसे रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) की सख्त जरूरत है। 3 दिन से भानु के पिता महिपाल सिंह चौहान जो भाजपा के मंडल के नेता है, अधिकारियों और नेताओं के चक्कर काट रहे है लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही।

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अपने प्रयास कर थक चुके भाजपा नेता महिपाल सिंह ने अंत में मेहगांव के विधायक और सरकार के मंत्री ओपीएस भदौरिया (OPS Bhadauriya) से गुहार लगाईं।  मंत्री की सिफारिश पर भानु का नाम उस सूची में जोड़ा गया जिसके माध्यम से उनका जीवन बचाने के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) मिलना था।

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दिनभर नारायण अस्पताल का एक कर्मचारी मुरार जिला हॉस्पिटल के उस स्थान पर लाइन में लगा रहा जहां से रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) मिलने थे लेकिन अंत में ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल ने जवाब दिया कि तुम्हारेरे मडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) तो कोई यहां से ले जा चुका है। अब रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) कहां गायब हो गए यह जांच का विषय है लेकिन जब तक जांच होगी तब तक कहीं देर ना हो जाए।  उधर एक बार फिर से भानु के पिता महिपाल सिंह रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं और उनको रेमडेसिवीर इंजेक्शन (Remedesivir Injection) कहीं भी उपलब्ध नहीं हो रहा है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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