Suhani Bhatnagar Death: दंगल गर्ल सुहानी भटनागर ने दुनिया को कहा अलविदा, 19 साल की उम्र में हुआ निधन, आमिर खान ने पोस्ट की भावुक स्टोरी

मीडिया की खबरों के मुताबिक दंगल गर्ल सुहानी भटनागर की मौत की वजह दवाईयों के साइड इफेक्ट्स की वजह से बताई जा रही है। दरअसल, सुहानी का कुछ समय पहले पैर फ्रैक्चर हो गया था।

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Aamir Khan Share Emotional Post On Suhani Bhatnagar Death: बॉलीवुड सिनेमा जगत के लिए एक बुरी खबर है। दंगल फिल्म में आमिर खान की बेटी का किरदार निभाने वाली सुहानी भटनागर का शनिवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया है। सुहानी ने 19 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। जानकारी के मुताबिक सुहानी का लंबे वक्त से दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था। वहीं सुहानी का अंतिम संस्कार आज शनिवार को ही फरीदाबाद में किया जाएगा।

निधन की ये बताई जा रही वजह

मीडिया की खबरों के मुताबिक दंगल गर्ल सुहानी भटनागर की मौत की वजह दवाईयों के साइड इफेक्ट्स की वजह से बताई जा रही है। दरअसल, सुहानी का कुछ समय पहले पैर फ्रैक्चर हो गया था। जिसके कारण उनका इलाज चल रहा था। वहीं दवाईयों के साइड इफेक्ट्स की वजह से उनके शरीर में तरल पदार्थ ज्यादा भर गया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई।

दंगल में छोटी बबिता का निभाया था किरदार

ब्लॉकब्लास्टर फिल्म दंगल में आमिर खान की बेटी का किरदार निभाया था। जिसमें उन्होंने बबिता के बचपन का किरदार बखूबी अंदाज से प्रस्तुत किया था। बता दें फिल्म साल 2016 में रिलीज हुई थी। वहीं सुहानी भटनागर ने दंगल फिल्म के जरिए बॉलीवुड में अपना कदम रखा था। इस फिल्म में गीता के बचपन का किरदार जायरा वसीम ने निभाया था। वहीं दोनों चाइल्ड एक्ट्रेस ने इस फिल्म के जरिए काफी फेम पाया था।

आमिर खान ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की स्टोरी

वहीं आमिर खान ने सुहानी भटनागर की मौत की खबर मिलने पर इंस्टाग्राम पर स्टोरी पोस्ट की इस दौरान आमिर खान ने पूरे परिवार के लिए गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं। साथ ही लिखा है कि प्रतिभाशाली लड़की के बिना दंगल अधूरा होता।

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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