आवाज़ की दुनिया के दोस्तों..अलविदा! अमीन सयानी का निधन, रेडियो की सबसे पुरसुकून आवाज़ खामोश हुई

अमीन सयानी के बेटे राजिल के मुताबिक मंगलवार 20 फरवरी को उनके दक्षिण मुंबई स्थित घ रपर हार्ट अटैक आया , उन्हें तत्काल नजदीकी एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल ले जाया गया जहाँ कुछ देर के इलाज के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।

Atul Saxena
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Ameen Sayani

Ameen Sayani passes away : देश के रेडियो किंग , पहले रेडियो जॉकी , लोकप्रिय होस्ट और बिनाका गीतमाला, सिबाका गीतमाला के जरिये लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले आवाज के जादूगर अमीन सयानी ने दुनिया छोड़ दी है, उन्होंने कल मंगलवार को अंतिम सांस लेकर दुनिया को अलविदा कह दिया, अमीन सयानी लंबे समय से बीमार थे , कहा जा रहा हैं कि हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हुआ है ।

“बहनों भाइयों” वाली आवाज ने दुनिया को अलविदा कहा 

रेडियो को जानने और समझने वाले लोगों के लिए अमीन सयानी का निधन एक झटके से कम नहीं है, रेडियो सुनने वाले जानते हैं अमीन सयानी क्या थे?, उनकी मेलोडियस आवाज, उनका अपना अंदाज आज भी लोगों के जेहन में ताजा है , विविध भारती पे बिनाका गीतमाला (बाद में सिबाका गीतमाला) में उनका “बहनों भाइयों” सुनाई देता था तो जिस आनंद की अनुभूति होती थी उसका अंदाजा उसे सुनने वाले ही लगा सकते हैं।

घर में आया हार्ट अटैक, इलाज के दौरान ली अंतिम सांस 

21 दिसंबर 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. जानकारी के मुताबिक, हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हुआ है. उनके बेटे राजिल सयानी उनकी मौत कंफर्म की है, अमीन सयानी के निधन की खबर से उनके चाहने वालों को जबरदस्त धक्का लगा है , अमीन सयानी के बेटे राजिल के मुताबिक मंगलवार 20 फरवरी को उनके दक्षिण मुंबई स्थित घ रपर हार्ट अटैक आया , उन्हें तत्काल नजदीकी एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल ले जाया गया जहाँ कुछ देर के इलाज के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।

लंबे वक्त से  बीमार चल रहे थे 

पता चला है कि अमीन सयानी लंबे समय से बीमार थे वे बुढ़ापे से जुडी बीमारियों से गुजर रहे थे, उन्हें लगभग एक दशक से पीठ दर्द‌ की भी शिकायत थी जिसकी वजह से वे चलने‌ के लिए वॉकर‌ का इस्तेमाल करते थे, आवाज की दुनिया के इस जादूगर को एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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