शाहरुख खान की फिल्म डंकी को सेंसर बोर्ड ने किया पास, 21 दिसंबर को इस सर्टिफिकेट के साथ बड़े पर्दे पर होगी रिलीज

Shashank Baranwal
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Dunki Movie: किंग खान शाहरूख खान की मोस्ट अवेटेड फिल्म डंकी महज कुछ दिनों में बड़े पर्दों पर रिलीज होने वाली है। वहीं डंकी फिल्म को लेकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) की तरफ से शनिवार को फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया गया है। बोर्ड द्वारा डंकी फिल्म को U/A सर्टिफिकेट दिया गया है। आपको बता दें डंकी फिल्म की रन टाइम 2 घंटे में 41 मिनट (161 मिनट) है।

21 दिसंबर को बड़े पर्दे पर होगी रिलीज

बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म डंकी 21 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। आपको बता दें इस फिल्म में अहम किरदार के रूप में शाहरुख खान के साथ तापसी पन्नु, विक्की कौशल, बोमन ईरानी, अनिल ग्रोवर जैसे कई बेहतरीन कलाकार हैं। यह फिल्म रेड चिलीज एंटरटेंनमेंट, राजकुमार हिरानी फिल्म और जिओ स्टूडियोज के बैनर तले बनी है। वहीं इस फिल्म के लेखक राजकुमार हिरानी और कनिका ढिल्लों हैं। बता दें यह फिल्म अवैध रूप से किसी दूसरे देश में घुसने की कहानी है।

सिनेमाघरों में सालार से भिड़ेगी डंकी

गौरतलब है कि साउथ सुपरस्टार बाहुबली प्रभास की फिल्म सालार भी डंकी के अगले दिन 22 दिसंबर को बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली है। जहां दोनों फिल्मों के बीच खासी टक्कर देखने को मिल सकती है। बता दें फिल्म सालार पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालय और कन्नड़ में रिलीज होगी।

वहीं डंकी से पहले शाहरूख खान की दो फिल्में सिनेमाघरों में धमाल मचा चुकी है। शाहरुख खान सबसे पहले पठान से और बाद में जवान से अपने फैंस का दिल जीत चुके हैं। वहीं अब उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म डंकी भी सिनेमाघरों में रिलीज को तैयार हो गई है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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