कभी तो फैलेगी बाग़-ए-हयात में खुशबू
गुलाब खिल के फ़ज़ा को गुलाब कर देगा
ये माहे फरवरी है..फरवरी यानी इश्क़ वाला महीना। और आज से इश़्क वाला हफ्ता भी शुरू हो गया है। ये खूबसूरत शुरूआत ही होती है गुलाब की नाज़ुकी से…
संत वैलेंटाइन जाते-जाते भी दुनिया को मुहब्बत का पैग़ाम दे गए। तभी तो उनकी रुखसती का दिन सारी दुनिया मुहब्बत के नाम पर मनाती है। प्यार करने वाले ऐसे ही होते हैं..प्यार के नाम ज़िंदगी कुर्बान करने में भी नहीं हिचकते। ऐसी ही कहानी है संत वैलेंटाइन की जिन्होने सम्राट क्लाउडियस की क्रूरता के खिलाफ मुहब्बत का मोर्चा खोल दिया और इसकी खातिर अपनी जान तक दे दी।
तो आज से हम इश्क़ वाला हफ्ता मनाएंगे। वो जो कहते हैं कि प्यार भी कोई बताने वाली चीज़ है..जताने वाली चीज़ है, ये तो कोई फिरंगी सा त्योहार है..फिज़ूल का व्यापार है…उन्हें जवाब में एक गुलाब दीजिये और बताईये कि यही तो सबसे ज़रूरी बात है कहने वाली।
गुलाब दीजिये उन्हें जिनसे मुहब्बत है। चाहें तो लाल गुलाब अपनी ज़िंदगी की धड़कन को..सांसों की डोर को दीजिये, चाहें तो पीला गुलाब दोस्त को। और जो कोई शख्स आपकी ज़िंदगी में सुकून के कुछ पल लाया हो कभी तो सुफैद गुलाब देकर खामोशी से शुकराना अदा कर दीजिये, कोई रूठा हुआ हो तो आज से बेहतर मौक़ा नहीं मिलेगा मनाने का। किसी अनजान बुज़ुर्ग को दे दीजिये एक गुलाबी गुलाब, किसी नन्हीं बच्ची के हाथ में थमा दीजिये एक सुंदर कली।
आज रोज़ डे है..हम तो दुआ करते हैं कि रोज़-रोज़ ‘रोज़ डे’ हो आपकी ज़िंदगी में। और यही गुलाब सी रूमानियत, खुशबू, सुंदरता आप भी किसी की ज़िंदगी में लाते रहें। गुलाबों की तरह खिला, खुला और खुशगवार हो सबकी मुहब्बत का सफ़र। इश्क़ का पहला दिन मुबारक़..
दिन में आने लगे हैं ख्वाब मुझे
उसने भेजा है इक गुलाब मुझे