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Mon, Dec 15, 2025

2 सुपरस्टार्स की यह बॉलीवुड फिल्म हुई थी हिट, हीरो पर भारी पड़ा था विलेन का किरदार

Written by:Sanjucta Pandit
संजय दत्त और जैकी श्रॉफ ने 80-90 के दशक में संघर्ष से पहचान बनाई। 1993 में सुभाष घई की फिल्म खलनायक ने दोनों के करियर को नई ऊंचाई दी।
2 सुपरस्टार्स की यह बॉलीवुड फिल्म हुई थी हिट, हीरो पर भारी पड़ा था विलेन का किरदार

बॉलीवुड की दुनिया में स्टारडम पाना आसान नहीं है। यहां हर अभिनेता को अपने हिस्से की स्ट्रगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है। 80 और 90 के दशक के दो बड़े सितारों संजय दत्त और जैकी श्रॉफ की कहानियां भी कुछ ऐसी ही हैं। जिन्होंने शुरूआती दौर में दर-दर की ठोकरें खाई हैं, तब जाकर आज इस मुकाम तक पहुंचे है, जहां लोग उनके नाम के साथ-साथ काम के लिए भी जानते हैं। दोनों ही एक्टर्स की जोड़ी भी बॉलीवुड में काफी ज्यादा पसंद की गई थी।

संजय दत्त को उनके फैंस सन ऑफ द स्टार कहकर बुलाते हैं, तो वहीं जैकी श्रॉफ का बॉलीवुड सफर भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। दोनों ने धीर-धीरे फिल्मी करियर में अपनी अलग पहचान बनाई। प्रोफेशनल से लेकर पर्सनल लाइफ तक चर्चाओं में रही है।

इस फिल्म ने बदली किस्मत

बता दें कि 90 के दशक तक आते-आते दोनों कलाकार अपने-अपने अंदाज़ में जम चुके थे। लेकिन साल 1993 में रिलीज हुई सुभाष घई की फिल्म खलनायक ने इनके करियर को नई दिशा दी। खास बात यह रही कि इस फिल्म में लीड हीरो नहीं, बल्कि विलेन का किरदार ही सब पर भारी पड़ गया। सिनेमाघरों में भीड़ उमड़ पड़ी। फिल्म की चर्चा उसके गानों से लेकर कहानी और स्टारकास्ट तक हर जगह थी… लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज पैकेज संजय दत्त का बल्लू था।

आमतौर पर दर्शक फिल्म देखने जाते हैं तो हीरो की बहादुरी और हीरोइन की अदाओं के लिए… लेकिन खलनायक ने इस ट्रेंड को बदल दिया। लोग टिकट खिड़की पर घंटों लाइन में खड़े होते, सिर्फ इसलिए कि उन्हें बड़े पर्दे पर विलेन संजय दत्त को देखना था।

खलनायक की कहानी

कहानी दो पुलिस अधिकारियों राम (जैकी श्रॉफ) और गंगा (माधुरी दीक्षित) के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों का मकसद एक ही फरार अपराधी बल्लू (संजय दत्त) को पकड़ना है । गंगा उसके गैंग में शामिल होकर मिशन को अंजाम देने की कोशिश करती है, लेकिन असली ट्विस्ट संजय दत्त के किरदार से आता है। बल्लू सिर्फ खलनायक नहीं था, उसमें इंसानियत और दर्द की झलक भी थी।

 

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जब गाने बन गए सुपरहिट

सुभाष घई की फिल्मों की पहचान उनके गानों से भी होती है। खलनायक में “चोली के पीछे क्या है” और “नायक नहीं खलनायक हूं मैं” जैसे गाने लोगों की जुबान पर चढ़ गए। खासकर “नायक नहीं खलनायक हूं मैं” तो इतना पॉपुलर हुआ कि यह गाना संजय दत्त की पहचान बन गया। उस दौर में कैसेट और रिकॉर्ड दुकानों से गायब हो जाते थे। बारातों, पार्टियों और कॉलेज फंक्शन तक में ये गाने बजते थे।

बॉक्स ऑफिस पर सफलता

उस वक्त जब फिल्मों की कमाई करोड़ों तक पहुंचना बड़ी बात मानी जाती थी, खलनायक ने करीब 24 करोड़ की कमाई की और साल की बड़ी हिट फिल्मों में शुमार हुई। थिएटर के बाहर टिकट ब्लैक में बिकती थी और लोग ज्यादा पैसे देकर भी इसे देखने को तैयार रहते थे। जैकी श्रॉफ और माधुरी दीक्षित के काम को सराहा गया, लेकिन संजय दत्त का बल्लू सब पर भारी पड़ा। उनके डायलॉग, अंदाज़ और स्क्रीन प्रेज़ेंस ने लोगों को दीवाना बना दिया। आज भी जब 90 के दशक की फिल्मों का जिक्र होता है, तो खलनायक का नाम जरूर लिया जाता है।