आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताया कि राज्य सरकार कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से पैसे कैसे निकाल सकती है। मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वी एस एस सोमयाजुलु की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वे जीपीएफ खातों से धन की वसूली की खबरों को देखकर हैरान हैं।
एपी राजपत्रित अधिकारी संयुक्त कार्रवाई समिति के अध्यक्ष केवी कृष्णैया द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, नए वेतन संशोधन आयोग (PRC) के संबंध में जारी सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए, हाई कोर्ट ने सरकार की कार्रवाई को अदालत की अवमानना माना है।
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वहीँ सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कर्मचारियों को रहत दी है दरअसल पीठ ने सरकार को किसी भी सरकारी कर्मचारी के कुल वेतन में से एक पैसा भी कटौती नहीं करने का निर्देश दिया। अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि कर्मचारियों के वेतन से कोई भी राशि, जो नए पीआरसी के लागू होने से पहले जमा की गई थी, वसूली नहीं की जाएगी। आदेशों के किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि हमने पाया कि यह उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का उल्लंघन है और अगर यह सही पाया जाता है तो हम संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करेंगे। आंध्र प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष केवी कृष्णैया ने नवीनतम वेतन संशोधन आयोग (पीआरसी) की सिफारिशों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
याचिका पर सुनवाई से पहले न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने अखबारों में पढ़ा कि सरकार ने कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से पैसे निकाले हैं। याचिकाकर्ता के वकील पी रवि तेजा ने अदालत को बताया कि कृष्णैया के खाते से भी 91,221 रुपये निकाले गए। वहीँ सुनवाई के बाद जब मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवीएसएस सोमयाजुलु की खंडपीठ ने कहा कि वह मुख्य सचिव को नोटिस जारी करेगी। जिस पर महाधिवक्ता एस श्रीराम ने मामले का पूरा विवरण प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। इसके बाद अदालत ने सुनवाई की तारीख 12 जुलाई तय की गई है।