वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (One rank one pension) पर रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया है। राज्य सभा में बोलते हुए मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया है। साथ ही कहा है कि 2015 में वन रैंक वन पेंशन योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की गई थी। जिसके लिए अधिसूचना भी जारी की गई थी। वहीं अब इसमें संशोधन किया जा रहा है। दरअसल इसमें हर 5 साल पर पेंशन की समीक्षा का प्रावधान है।
मंत्री ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि वन रैंक वन पेंशन के तहत एक जुलाई 2019 से पेंशन में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत समान ज्ञान के साथ सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख की परवाह किए बिना एक समान पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। जिसके लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई थी।
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एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, भट्ट ने सेना, नौसेना और वायु सेना में सेवारत सैनिकों और अधिकारियों के “तनाव को कम करने और क्षमताओं को उन्नत करने” के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सैनिक और अधिकारी प्रशिक्षण एक सुनियोजित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित किया जाता है।
बता दे अभी तक वन रैंक वन पेंशन योजना की प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। इसके लिए 2019 में संशोधन होना था, जो कि नहीं हुआ है। वहीँ सरकार का कहना है कि संशोधन 2019 से प्रभावी माना जाएगा और इसके लिए संशोधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
इधर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा 2015 में अपना एक वन रैंक वन पेंशन सिद्धांत को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि फैसले में ना कोई संवैधानिक कमी है और ना ही यह मनमाना है। वही माना जा रहा है कि जल्द ही पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन योजना का लाभ मिल सकता है।