Mahakaleshwar Temple Act: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में आने वाले भक्तों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यहां रोजाना लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं और इस हिसाब से सालाना यह संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है। श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर प्रशासन द्वारा समय-समय पर व्यवस्था में बदलाव किया जाता है। बता दें कि 41 साल पहले मध्य प्रदेश सरकार ने महाकाल मंदिर प्रबंधन के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम लागू किया था। 1982 में लागू किए गए इस अधिनियम में अब जल्द बदलाव किया जाएगा।
श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या के बाद मंदिर समिति के काम करने के तौर तरीके में काफी बदलाव आया है और अब सरकार का मानना है कि पुराने अधिनियम में बदलाव के बाद ही इस क्षेत्र का विकास किया जा सकेगा। अब तक की अधिनियम केवल महाकाल मंदिर परिसर पर लागू था लेकिन बदलाव के बाद यह शहर के अन्य मंदिरों के लिए भी लागू होगा जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
तैयार हो रहा ड्राफ्ट
अधिनियम में बदलाव करने की बात पर सहमति बन चुकी है और इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार होने के बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। आचार संहिता जैसे ही खत्म होती है वैसे ही इस पर काम शुरू होगा। पुराने अधिनियम के तहत अब तक पंडे, पुजारी, सेवकों की व्यवस्था, मंदिर का पूरा कामकाज, दान, श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था सब कुछ मंदिर प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी है। मंदिर समिति का अध्यक्ष कलेक्टर को बनाया गया था और प्रशासक की नियुक्ति भी राज्य सरकार की ओर से होती है।
श्रद्धालुओं को होगी सुविधा
1983 में सीमित संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए आते थे। अब यह संख्या रोजाना डेढ़ लाख पर पहुंच चुकी है और आने वाला दान भी करोड़ों रुपए में होता है। महाकाल के अलावा हरसिद्धि, गढ़कालिका, मंगलनाथ, काल भैरव, चिंतामण समेत शहर के कई सारे मंदिर लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। यह सभी मंदिर अलग-अलग ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जाते हैं। नए अधिनियम के तहत सरकार का मानना है कि अगर एक ही प्रबंधन द्वारा इन सभी मंदिरों का प्रबंधन किया जाएगा। तो श्रद्धालुओं को मिलने वाले सुविधाओं में इजाफा हो सकेगा।
होंगे ये बदलाव
नए अधिनियम के बाद न सिर्फ महाकाल बल्कि शहर के अन्य मंदिर भी अधिनियम के अंतर्गत आने लगेंगे। मंदिर में जो भी दान आता है उसका उपयोग विकास कार्यों और सेवा कार्यों में किया जा सकेगा। मंदिर के जरिए लोगों को रोजगार मिल सके इसके लिए कोशिश की जाएगी। इससे मूर्ति शिल्प और हस्तशिल्प जैसी कलाओं का विकास होगा।