भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) के अशासकीय महाविद्यालय (private college) के प्राचार्य (Employees-professors) को अब तक सातवें वेतनमान (7th pay Scale) का लाभ नहीं मिल रहा है। इस मामले में कई जगह अपना पक्ष रखे जाने के बाद अब अशासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने हाईकोर्ट (MP High court) का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए थे लेकिन पूर्व के आदेश की एक बार फिर से अवेलहना पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेश की अवहेलना पर उच्च शिक्षा विभाग (higher education Department) सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके लिए हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दिया है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव शैलेंद्र सिंह, वित्त के प्रमुख सचिव मनोज गोविल सहित उच्च शिक्षा के आयुक्त दीपक सिंह को अवमानना नोटिस जारी किया है। दरअसल न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई की गई। इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा अशासकीय महाविद्यालय पर अध्यापक संघ के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र त्रिपाठी और डीएन जैन कॉलेज जबलपुर के सहायक प्राध्यापक शैलेंद्र कुमार जैन की ओर से वकील एलसी पटने और अभय पांडे ने पक्ष रखा।
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वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुताबिक सातवें वेतन आयोग को लेकर पूर्व में याचिका दायर की गई थी। 2 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट ने समस्या के निराकरण करने के निर्देश दिए थे। वही मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग को कर्मचारियों को सातवें वेतनमान देने के संबंध में विचार कर समुचित निर्णय लेने को कहा था। वही 90 दिन बीतने के बावजूद अब तक प्राध्यापकों के सातवें वेतनमान देने के सिलसिले में कोई विचार निर्णय नहीं लिया गया है। जिस पर अवमानना याचिका दायर की गई है।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश अशासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ द्वारा 2017 से इस मुद्दे पर लगातार सरकार से मांग की जा रही है। शासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों की तरह अशासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों को भी साथ में वेतनमान का लाभ दिए जाने की मांग की जा रही है। वहीं राज्य शासन ने जनवरी 2019 में शासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ दे दिया था लेकिन अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों को इस लाभ से लगातार वंचित रखा गया।
इधर शिक्षा विभाग द्वारा अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी सातवें वेतन का लाभ मिल रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय को भी शासकीय महाविद्यालय के समान वेतनमान का हकदार रेखांकित किए जाने के बावजूद अब तक अशासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों को तीसरे चौथे पांचवें और छठे वेतनमान का लाभ दिया जाए। अब तक सातवें वेतनमान के लाभ से वंचित रहने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी किए थे। बावजूद इसके राज्य शासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई थी। जिस पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।