लॉटरी के समर्थन पर कांग्रेस का सांसद प्रज्ञा ठाकुर पर तंज- “वैश्यावृत्ति भी वैध करवा दीजिये, राजस्व मिलेगा”

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश की सियासत में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के नेता हर समय एक दूसरे पर पैनी नजर जमाये रहते हैं और मौका मिलते ही वार पलटवार का दौर शुरू हो जाता है।  ताजा मामला नैतिकता और अनैतिकता के बीच का है। प्रदेश सरकार द्वारा जुए, सट्टे और लॉटरी को वैध करने के प्रयासों के बीच सांसद प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन पर कांग्रेस ने तंज कसा है और मांग की है कि वैश्यावृत्ति भी वैध करवा दीजिये इससे भी सरकार को राजस्व मिलेगा।

मध्यप्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने ट्वीट और बयान जारी कर मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) और भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर (MP Pragya Thakur) पर बड़ा हमला किया है।  केके मिश्रा ने ट्वीट में लिखा –  संघ प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में मप्र सरकार द्वारा निर्मित तकनीकी कारणों से बरी किन्तु मालेगांव ब्लास्ट में आज भी आरोपित भगवाधारी सांसद प्रज्ञासिंह राज्य में सट्टे-जुए को सामाजिक व धनोपार्जन का कारक बता कर उसकी वकालत कर रही हैं। वैश्यावृति भी वैध करवा दीजिये, राजस्व मिलेगा।

ट्वीट के बाद कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने एक बयान भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था चुनौती के रूप में सामने है।  कई तरह के माफिया जनता को झकझोर रहे हैं उस दौर में मप्र सरकार सट्टे और जुए पर लायसेंस देने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर चुकी हैं ये शर्मनाक है।

उन्होंने आगे कहा कि सबसे अधिक विडम्बना इस बात की ही कि राजधानी भोपाल की सांसद जो भगवा वस्त्र पहनती हैं हत्या की आरोपी होने के बावजूद नैतिकता, संस्कृति और संस्कारों की दुहाई देती है वे सरकार के अवांछनीय कदम का इसलिए स्वागत कर रहीं हैं कि सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा। शर्म आनी चाहिए प्रज्ञा ठाकुर जी आपको। किस नैतिकता और सिद्धांत के आधार पर आप समर्थन कर रही हैं यदि इतना ही रेवेन्यू बढ़ने का शौक है तो आप एक महिला हैं मैं आपसे प्रार्थना करना चाहूंगा कि समाज की वे तमाम गरीब महिलायें जो अपने पेट की खातिर अनैतिक कामों में लिप्त हैं आपकी सरकार से उनके लिए भी लायसेंस दिलवा दीजिये ताकि सरकार का भी रेवेन्यू भी बढ़ेगा और उनका भी पेट पलेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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