“स्वर्ण प्राशन” दवा पीने के लिए उमड़ी बच्चों की भीड़, “पुष्य नक्षत्र” से इसका है ये सम्बन्ध

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ग्वालियर के अस्पताल का दृश्य गुरुवार को “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) के दिन सामान्य दिनों से बहुत अलग था।  यहाँ बच्चों की भारी भीड़ थी , कोई माता पिता अपने नौनिहाल को गोदी में लेकर पहुंचा तह ऑटो कोई हाथ पकड़कर। सभी लाइन में लगकर अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे। मौका था “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पिलाने का। आयुर्वेद की मान्यता है कि “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) में “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता  है।

"स्वर्ण प्राशन" दवा पीने के लिए उमड़ी बच्चों की भीड़, "पुष्य नक्षत्र" से इसका है ये सम्बन्ध "स्वर्ण प्राशन" दवा पीने के लिए उमड़ी बच्चों की भीड़, "पुष्य नक्षत्र" से इसका है ये सम्बन्ध

ज्योतिष में “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) का बहुत महत्व बताया गया है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा गया है। खास बात ये है कि ज्योतिष की तरह ही आयुर्वेद में भी “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) का बहुत महत्व है। आयुर्वेद कहता है कि “पुष्य नक्षत्र” में बनी दवा और “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) में दवा का सेवन दोनों विशेष लाभकारी होते हैं। इसीलिए ग्वालियर के शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज (Ayurvedic College Gwalior)में हर महीने बच्चों को “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) वाले दिन “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पिलाई जाती है।

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इस बार दिवाली से पहले आज गुरुवार को “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra)  के दिन “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan)  दवा पीने के लिए बच्चों की भारी भीड़ पहुंची।  आयुर्वेदिक कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रितेश वर्मा के मुताबिक सामान्य तौर पर हर महीने 200 से 250 बच्चे “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा पीने पहुँचते हैं लेकिन गुरुवार 28 अक्टूबर को सुबह से शाम तक 750 बच्चों ने स्वर्ण प्राशन दवा पी।

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इसका कारण बताते हुए डॉ वर्मा ने कहा कि “पुष्य नक्षत्र” (Pushya Nakshatra) का वैसे ही बहुत महत्व होता है यहाँ हम इसका अर्थ पोषण से लेते हैं।  लेकिन दिवाली के नजदीक होने से इसका महत्व थोड़ा बढ़ जाता है इसके अलावा चूँकि इस समय ग्वालियर में डेंगू, कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियां भी बच्चों को प्रभावित कर रही हैं इसलिए भी माता पिता बच्चों को सुरक्षित रखना चाहते हैं।

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उन्होंने बताया कि “स्वर्ण प्राशन” (Swarna Prashan) दवा स्वर्ण भस्म, मधु यानि शहद, औषधीय घृत (हर्बल घी) को मिलाकर तैयार की जाती है। डॉ वर्मा के मुताबिक हर महीने “पुष्य नक्षत्र” वाले दिन इसे यहाँ छह माह लेकर से 16 साल तक के बच्चों को पिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि अब ये दवा अगले महीने 25 नवम्बर को पुष्य नक्षत्र वाले दिन पिलाई जाएगी।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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