जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने सजायाफ्ता कर्मचारी प्रोविजनल पेंशन (provisional pension) पर बड़ा फैसला दिया है। दरअसल किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी (retired employee) द्वारा किसी मामले में अपराधी घोषित होने के बाद न्यायालय द्वारा उसे दंड का प्रावधान है। हालांकि नियम अनुसार दंड देने के साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन को बंद किया जाता है लेकिन अब न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जिसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रोविजनल पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
दरअसल न्यायालय द्वारा किसी भी रिटायर्ड कर्मचारियों को अपराधी घोषित होने के बाद उसे दंड का प्रावधान है और नियम अनुसार उसके पेंशन को बंद किया जाता है लेकिन न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध यदि सेवानिवृत्त कर्मचारी अपील करता है तो ऐसे कर्मचारी प्रोविजनल पेंशन पाने की पात्रता रखता है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी के एकल पीठ ने बड़े निर्णय में कहा कि यदि निर्णय के खिलाफ अपील कर दी गई है तो निर्णय स्थगित हो जाता है। इसलिए सेवानिवृत्त कर्मचारी को नियम अनुसार प्रोविजनल पेंशन पाने का पूरा अधिकार है।
जानकारी के मुताबिक सेवानिवृत्त पटवारी कन्हैयालाल दामले विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन एवं होशंगाबाद कलेक्टर मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वकील ओम शंकर पांडे और अंजन पांडे ने अपनी दलील पेश की। जिसमें कहा गया कि रिटायरमेंट की कुछ दिन पहले एक साजिश के तहत याचिकाकर्ता को फसाया गया था।
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इस दौरान लोकायुक्त के ट्रक में फंसे अधिकारी को होशंगाबाद की ट्रायल कोर्ट ने दोषी घोषित करते हुए दंडित किया था। वकील ने दलील देते हुए कहा कि पेंशन नियम 64 में प्रोविजन पेंशन का प्रावधान है लेकिन याचिकाकर्ता को पिछले 6 सालों तक प्रोविजनल पेंशन के लाभ से वंचित रखा गया है।
वही याचिकाकर्ता के वकीलों ने यह भी जानकारी दी कि ट्रायल कोर्ट के डिसीजन के खिलाफ सेवानिवृत्त कर्मचारी कन्हैयालाल दामले ने अपील की थी। जिसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की एकल पीठ ने मध्यप्रदेश शासन और होशंगाबाद कलेक्टर को आदेश जारी करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को प्रोविजनल पेंशन का लाभ दिया जाए।