शासकीय कर्मचारी-चिकित्सकों के लिए अच्छी खबर, 3 वर्ष बढ़ सकती है सेवानिवृत्त आयु, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Kashish Trivedi
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के शासकीय कर्मचारी-चिकित्सकों (Employees-doctors) के लिए महत्वपूर्ण खबर है। दरअसल मेडिकल कॉलेज में पदस्थ चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु (Retirement Age) के संबंध में अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सरकार को नोटिस जारी कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों चिकित्सकों के सेवानिवृत्ति आयु को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। माना जा रहा है कि जल्दी ही डॉक्टरों की उम्र में 3 वर्ष की वृद्धि देखी जाएगी।

इससे पहले मेडिकल कॉलेज में पदस्थ डॉक्टर की तरह ही आयुष विभाग के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष किए जाने को लेकर अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी पर सरकार को नोटिस जारी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब करते हुए कहा कि जब अन्य क्षेत्र के डॉक्टरों के रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष किए गए हैं। ऐसे में आयुष डॉक्टरों की उम्र सीमा में वृद्धि क्यों नहीं निर्धारित की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयुष डॉक्टरों की उम्र सीमा 62 साल ही क्यों निर्धारित है। प्रदेश के आयुष चिकित्सकों की ओर से अधिवक्ता पुलकित तारे ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि कोरोना के समय आयुष डॉक्टर्स को भी फ्रंट लाइन वर्कर्स में शामिल किया गया था। उस समय सरकार द्वारा उनकी सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष किए जाने की बात कही गई थी। हालांकि बाद में अन्य क्षेत्र के डॉक्टरों की आयु सीमा में वृद्धि की गई लेकिन आयुष चिकित्सकों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।

चिकित्सकों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने पहले हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से उन्हें बड़ी राहत मिली थी। जब सिंगल बेंच ने आयुष चिकित्सकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके सेवानिवृत्ति आयु 3 वर्ष की वृद्धि की बात कही थी। हालांकि डिवीजन बेंच द्वारा इसे निरस्त कर 62 साल रखे जाने के शासकीय आदेश को सही माना गया था।

अब शासकीय कर्मचारी चिकित्सकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण सुनवाई करते हुए आयुष के दायरे में आने वाले आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टरों के कार्यशैली को बराबर मानते हुए उनकी आयु सीमा भी बराबर होने के पक्ष में अपना निर्णय दिया था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राय और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की खंडपीठ द्वारा कहा गया था कि एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टरों की कार्यशैली में विभिन्नता भले हो लेकिन उनका काम एक ही है। ऐसे में एलोपैथिक डॉक्टर की तरह ही आयुर्वेदिक डॉक्टरों को भी 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु का लाभ मिलना चाहिए और वह इसके हकदार है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी आयुष डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि ना करने पर अब सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सकों की अर्जी को सुना है और शासन से नोटिस जारी कर जवाब मांगे हैं।माना जा रहा है कि प्रदेश में जल्द ही आयुष चिकित्सकों को बड़ी राहत दी जा सकती है और उनकी सेवानिवृत्ति आयु में 3 वर्ष की वृद्धि देखने को मिल सकती है।


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