नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। मीडिया रिपोर्ट की माने तो अप्रैल 2022 से देशभर में न्यू वेज कोड (New wage code) लागू किया जा सकता है। नई वेज कोड के लागू होते ही एक तरफ जहां टेक होम सैलेरी (take home salary) में कमी आएगी। वही लोगों के पीएफ (PF) में वृद्धि देखी जाएगी इसके साथ ही ऐसे कर्मचारियों (employees) के लिए एक और अच्छी खबर है। जिन्हें ओवरटाइम में काम करने के बाद इनाम के रूप में कुछ भी नहीं मिलता है।
रिपोर्टों के अनुसार न्यू-वेतन संहिता (New wage code) के तहत एक नया श्रम कानून लागू किया जा सकता है जो आपके वेतन ढांचे में बदलाव का कारण बन सकता है। फिलहाल सरकार काम के घंटे, ओवरटाइम, ब्रेक टाइम जैसी चीजों को लेकर वेज कोड में बदलाव कर रही है। पहले New Wage code 1 अप्रैल, 2021 से लागू होने की संभावना थी पर इसे जुलाई 2021 तक के लिए टाल दिया गया था। हालाँकि इसे अप्रैल 2022 में लागू किया जा सकता है।
न्यू वेज कोड के नए कार्यान्वयन के अनुसार एक प्रावधान होगा। जहां यदि कोई कर्मचारी 30 मिनट की गिनती करके ओवरटाइम में 15 से 30 मिनट के बीच अतिरिक्त काम करता है तो उसे अतिरिक्त वेतन मिलेगा। वर्तमान नियम के तहत 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम नहीं माना जाता है। सरकार ने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए वेज को तैयार किए हैं। कोड ऑन वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ और सोशल सिक्योरिटी कोड को एक साथ लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
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वेज कोड एक्ट 2019 के लागू होने के बाद कर्मचारियों का वेतन ढांचा पूरी तरह से बदल जाएगा। कर्मचारियों का मूल Salary और PF बढ़ने के बाद से ‘टेक होम सैलरी’ घटेगी। पीएफ के साथ-साथ ग्रेच्युटी (gratuity) में उनका योगदान भी बढ़ेगा। नया वेतन कोड असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी लागू है। वेतन और बोनस (Bonus) से संबंधित नियम बदलेंगे और हर उद्योग और क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में समानता होगी।
न्यू वेज कोड क्या है?
सरकार ने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर चार वेज कोड तैयार किए थे- कोड ऑन वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ (OSH) और सोशल सिक्योरिटी कोड। 2019 अगस्त में तीन श्रम संहिताओं औद्योगिक संबंध, काम की सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति और सामाजिक सुरक्षा में परिवर्तन किए गए।
वेतन संहिता अधिनियम 2019 के अनुसार, किसी कर्मचारी का मूल वेतन कंपनी की लागत (CTC) के 50 प्रतिशत से कम नहीं हो सकता। वर्तमान में कई कंपनियां मूल वेतन में कटौती करती हैं और ऊपर से अधिक भत्ते देती हैं ताकि कंपनी पर बोझ कम हो।