भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) जल्द ही अधिनियम में संशोधन करेगी। दरअसल 408 नगरीय निकाय (Civic bodies) अलग-अलग कानून के बजाय एक ही कानून के तहत संचालित किए जाएंगे। अभी तक मध्य प्रदेश में अलग-अलग अधिनियम के तहत नगर सरकार को संचालित किया जा रहा है,लेकिन अब इसके लिए एक ही कानून तैयार किये जाएंगे। इसके लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। वही तीन स्तर पर चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाना है।
मध्य प्रदेश के सभी नगरीय निकाय के लिए एक ही अधिनियम होंगे। बता दें कि मध्य प्रदेश में 16 नगर निगम के लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका-निगम अधिनियम 1956 प्रचलित है जबकि 58 नगर पालिका और 294 नगर परिषद के लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 के अंतर्गत कानून का संचालन किया जाता है। जिसके कारण इन निकाय और परिषद में नियम अलग-अलग हो जाते हैं। हालांकि अब इस के एकीकरण के लिए अधिनियम तैयार किया जा रहा है।
दरअसल इस पर चर्चा जनवरी महीने से शुरू हो गई थी। जब सीएम शिवराज ने इस संबंध में नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम के एकीकरण की कार्रवाई पूर्ण करने के निर्देश दिए गए थे। इसके लिए 2 साल का समय दिया गया है। वही कानून विशेषज्ञ से प्रत्येक स्तर को वर्तमान में चर्चा के बाद विभाग में प्रस्तुत किया जाएगा। तीन खंडों पर चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाना है।
मामले में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को और मजबूत कैसे किया जाए। इसके लिए सरकार प्रयासरत है। अन्य राज्य के नियम को अध्ययन किया जा रहा है और समय के साथ आए बदलाव की वजह से निकायों के अधिनियम में बदलाव लाना भी आवश्यक हो गया है। इसके लिए तैयारी शुरू की गई है।
बता दे अगली चर्चा के लिए विभाग से आयोग द्वारा समय की मांग की गई है। आयोग द्वारा अधिनियम को बनाने के लिए करीब 7 महीने का समय बीत चुका है और अगले साल के अंत तक इस प्रक्रिया को पूरा करना है। जिसके लिए 90% प्रावधान वर्तमान कानूनों के अंतर्गत ही तय किए जाएंगे। वहीं समय-समय पर जरूरत के हिसाब से अधिनियम में जोड़ा जाएगा। जिसके बाद अब नए कानून के तहत विशेषज्ञ द्वारा चर्चा की जाएगी और प्रत्येक खंड को वर्तमान संदर्भ से परिभाषित कर विभाग के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
इसका लाभ यह होगा कि मध्य प्रदेश के सभी निकाय और परिषद के लिए एक ही कानून संचालित किए जाएंगे। अभी के नियम के तहत नगर सरकार को अलग-अलग अधिनियम के तहत संचालित किया जा रहा है। जिससे एक निकाय और अन्य निकाय और परिषद के बीच नियम में काफी अंतर देखने को मिलते हैं। नए कानून के तहत इस कमी को पूरा किया जाएगा।