भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में एक बार फिर से शिवराज सरकार (Shivraj Government) एक्शन मोड में आ गई है। दरअसल सरकार स्वयंसेवी संगठनों (voluntary organizations) पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। सरकारी अनुदान के लिए खुल रहे स्वयंसेवी संगठनों को सरकार ने अंकुश लगाने के साथ ही अब नए नियम तय कर दिए हैं। जिसके तहत यदि सरकार से जिस काम के लिए एनजीओ (NGO) को अनुदान मिला है, उसे उक्त कामों पर खर्च नहीं करने पर 7% ब्याज के साथ अनुदान की राशि को वापस करना होगा।
इसके अलावा स्वैच्छिक संगठनों को दो अलग-अलग विभाग एजेंसी से अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन करने पर ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। साथ ही उन्हें अनुदान प्रदान करने से रोक दिया जाएगा। जिसके बाद इतना तो तय है कि NGO-स्वयंसेवी संगठन जिस काम के लिए सरकार से राशि प्राप्त करेंगे, उसे उन्हें उसी काम पर खर्च करना होगा। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उनसे ब्याज सहित राशि की वसूली होगी।
सरकार के पास लंबे समय से शिकायत पहुंच रही थी। जिसमें कहा जा रहा था कि स्वयंसेवी संगठन ने सरकार से जिस काम के लिए राशि की मांग करते हैं। उसे उस काम पर खर्च नहीं किया जाता है। जिस पर अब सरकार ने नियम में सख्ती शुरू की है। मामले में खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए अनुदान जारी करता है लेकिन इस अनुदान का उपयोग जनता के हित में नहीं किया जाता है।
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वहीं खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने उपभोक्ताओं को जागरूक करने के नाम पर अनुदान प्राप्त करने वाले स्व सहायता समूह और एनजीओ के लिए अनुदान नियम को खड़ा कर दिया है। विभाग द्वारा हर साल प्रदेश में नापतोल उपकरण में गड़बड़ी कर आमजन को कम सामग्री देना, मिलावटीखोरी से सावधान करने, खाद्य सामग्री बेचना और व्यापारी मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने वाले स्व सहायता समूह को उपभोक्ता को ठगे जाने से बचाने के लिए, जागरूक करने वाली गतिविधि का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए हर साल सरकार द्वारा अनुदान राशि एनजीओ और स्व सहायता समूह को दी जाती है।
इसके लिए आप स्वयं सेवी संगठनों को एनजीओ दर्पण पोर्टल में खुद को पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। इसमें महिला, अनुसूचित जाति-जनजाति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को वरीयता दी जाएगी। इसके अलावा एनजीओ को 3 साल का अंकेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करना भी अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं एनजीओ के पास 3 साल पुराना पंजीयन होना भी आवश्यक है। साथ ही उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए सत्यापन कराया जाना भी अनिवार्य होगा। वही एनजीओ को नए अनुदान राशि देने से पूर्व उनसे पिछले अनुदान की जानकारी ली जाएगी। इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद सभी संगठनों और एनजीओ को जनता हित में कार्य करने के लिए अनुदान राशि दी जाएगी।