MP By- Election : दांव पर सियासी भविष्य, हार-जीत तय करेगी जनता किसके साथ

Atul Saxena
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MP Panchayat By-Election

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में 2020 में हुए उप चुनाव (MP By- Election) ने एक नया इतिहास लिखा। देश में कहीं भी 28 विधानसभा सीटों पर एक साथ उप चुनाव नहीं हुआ था इस लिहाज से चुनावी माहौल लगभग आम विधानसभा चुनाव की तरह ही था।  जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल कर एक बार फिर साबित किया कि प्रदेश की जनता उस पर भरोसा करती है। प्रदेश इस समय तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उप चुनाव के मोड में है। भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress)  दोनों ही पार्टियां जीत के दावे कर रही है। प्रत्याशी की जीत या हार तय करेगी कि जनता किसके साथ है।

कोरोना काल में देश ने बहुत नुकसान उठाया लाखों लोगों ने अपनों को खोया। राजनीति के कई दिग्गज हमसे जुदा हो गए। मध्यप्रदेश (MP News) की राजनीति (MP Politics) को भी नुकसान हुआ, खंडवा भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, पृथ्वीपुर कांग्रेस विधायक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, जोबट विधायक कलावती भूरिया और रैगांव भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी कोरोना के बीच राजनीति को हमेशा को अलविदा कह गए।

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कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव (MP By- Election) की घोषणा की। दरअसल तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हो रहे ये उप चुनाव प्रत्याशियों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही इस उप चुनाव से मध्यप्रदेश के कई दिग्गजों की सियासी साख दांव पर लगी है।

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मध्यप्रदेश की राजनीति के बड़े नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की साख उप चुनाव (MP By- Election) में लगी है। उप चुनावों में ये सभी दिग्गज प्रचार में जुटे हैं और अपने अपने तरीके से जनता को ये विश्वास दिला रहे हैं कि वे आपका भविष्य बदलने आये हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 

चार बार के मुख्यमंत्री, प्रभावी नेता और दिग्विजय सिंह के शासनकाल के बाद सत्ता सँभालने वाले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने मध्यप्रदेश पर लगा बीमारू राज्य का धब्बा मिटाया, मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया जिसकी तारीफ कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।  शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में कई ऐसी विकास योजनाएं चलाई जिसने जनता को प्रभावित किया और इसी विकास और जनहितैषी योजनाओं के भरोसे वे जनता से भाजपा के पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं। उप चुनावों (MP By- Election) में पार्टी का प्रमुख चेहरा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भरोसा है कि जनता उनके साथ है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा 

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा (VD Sharma) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से निखरे हुए ऐसे नेता हैं जो अपनी बात प्रभावी ढंग से रखते हैं।  राष्ट्र से जुड़ा मुद्दा हो, संस्कृति से जुड़ा मुद्दा हो या फिर हिंदुत्व से जुड़ा मुद्दा, वीडी शर्मा विरोधियों को छोड़ते नहीं हैं।  2020 के ऐतहासिक उपचुनाव (MP By- Election) में भाजपा की जीत का अनुभव समेटे वीडी शर्मा इस बार भी उप चुनाव में जनता के बीच मौजूद हैं। वे कांग्रेस की 15 महीने की सरकार को प्रदेश की तरक्की के ग्राफ को नीचे ले जाने के लिए दोषी बताते हुए प्रहार कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 

कांग्रेस पर वादा खिलाफी और धोखे का आरोप लगाते 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर कमलनाथ सरकार को गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) देश की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं।  भाजपा का साथ देकर उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस को कमजोर किया बल्कि भाजपा की और खुद की ताकत बढ़ाई।  सिंधिया अब केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं , मध्यप्रदेश (MP News) कोटे से राज्यसभा के सदस्य हैं जो मध्यप्रदेश (MP Politics) के लिए फायदेमंद है। सिंधिया उप चुनावों (MP By- Election) में कमलनाथ दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस पर हमलावर हैं, वे अपने भाषणों में बताते हैं कि कैसे कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) में वल्लभ भवन दलाली का अड्डा बन गया था, कैसे भ्रष्टाचार चरम पर था। सिंधिया अपनी प्रभावी भाषण शैली से जनता को कन्वेंस कर रहे हैं कि विकास केवल भाजपा ही कर सकती है कांग्रेस तो विनाश करती है।

केंद्रीय मंत्री नरेंद सिंह तोमर

केंद्र सरकार में प्रभावी और ताकतवर मंत्री नरेंद सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) मध्यप्रदेश देश की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। शांत रहकर अपनी बात जनता तक पहुँचाने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उप चुनावों (MP By- Election) में भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। वे मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की किसान हितैषी और जनहितैषी योजनाओं को बताकर कांग्रेस पर प्रहार कर रहे  हैं।  केंद्रीय मंत्री कांग्रेस और भाजपा के झूठ और सच को जनता के सामने रख रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  

15 महीने की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath)कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत हैं।  वे उप चुनाव (MP By- Election) में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।  भाजपा को सौदे बाज, जनता के साथ धोखा देने वाली, झूठ बोलने पार्टी बताकर जनता को विश्वास दिला रहे हैं कि 15 महीने की सरकार में जैसे 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी थी वैसी ही कई योजनायें पास थी लेकिन उसके लागू होने से पहले ही भाजपा ने सौदा कर भाजपा ने सरकार गिरा दी। कमलनाथ कांग्रेस शासन काल को भाजपा के शासनकाल से बेहतर बता का रकोंग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) भी उप चुनावों (MP By- Election) में भाजपा पर प्रहार करने में पीछे नहीं हैं।  दिग्विजय सिंह चुनावी सभाओं में बिकाऊ – टिकाऊ, सौदेबाज, गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर वे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को निशाने पर लेकर भाजपा पर भी हमला कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान को झूठ बोलने वाला और घोषणावीर मुख्यमंत्री बताते हुए दिग्विजय सिंह जनता को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि आजादी के बाद देश का विकास कांग्रेस ने किया भाजपा संघ के साथ मिलकर वैमनस्यता फैलाती है इसलिए भाजपा से दूर रहिये।

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बहरहाल इन छह दिग्गजों के की बातों का कितना प्रभाव जनता यानि उप चुनाव (MP By- Election) वाले क्षेत्र के मतदाता पर पड़ता है ये तो परिणाम ही बताएँगे लेकिन दिग्गजों का प्रदर्शन उनकी सियासी साख को प्रभावित करेगा। दो साल बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और फिर केंद्र में आम चुनाव। मध्यप्रदेश के इन बड़े नेताओं की दम पर उनकी पार्टी की जीत  केंद्र में बैठे आलाकमान की मार्कशीट में उनके नाम के आगे नंबर बढ़ाने में सफल होगी और यदि हार होती है तो माइनस मार्किंग का खतरा बढ़ जायेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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