रिटर्न फाइलिंग में MP अग्रणी राज्य में शामिल, AI के उपयोग से टैक्स चोरी करने वाले 2757 व्यापारियों पर कार्रवाई

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट  देशभर में केंद्र सरकार द्वारा डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया (digitization process) को अपनाया जाने की अपील की जा रही है। दरअसल MP के कई विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) के माध्यम से शिक्षा सहित वाणिज्य और अन्य विभागों में कार्रवाई तेज किए जाने के मामले सामने आए हैं। इसी बीच अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए जीएसटी (GST) एवं अन्य टैक्स चोरी (Tax evasion) कर रहे व्यापारियों की धरपकड़ भी शुरू हो गई है।

बता दें कि रिटर्न फाइलिंग मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य में शामिल है वहीं अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर देश और राज्य के प्रति विकास में अनुकूल योगदान नहीं देने वाले व्यापारी और टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों के विरुद्ध लगातार कड़ी कार्रवाई होनी शुरू हो गई है। वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का निरंतर उपयोग किया जा रहा है।

विभाग द्वारा जीएसटी एवं अन्य संबंधित पोर्टल पर उपलब्ध विस्तृत डाटा का सूक्ष्म विश्लेषण कर टैक्स चोरी कर रहे व्यापारियों एवं टैक्स चोरी के लिए अपनाये जा रहे हथकंडों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई की जा रही है। ऐसे 2757 व्यवसायियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। इन व्यावसायियों में 1342 राज्य एवं 1415 डीलर केंद्र क्षेत्राधिकार से संबंधित है।

रिटर्न फाइलिंग में MP अग्रणी राज्यों में

डाटा एनालिटिक्स के सटीक उपयोग से जीएसटी अधिनियम नियम के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे कर राजस्व में वृद्धि हो रही है। माह मई 2022 में विभाग को जीएसटी में दिए गए मासिक लक्ष्य रूपये 1944 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त किया, जो लक्ष्य का 103% है। रिटर्न फाइलिंग की निरंतर समीक्षा से प्रदेश देश के 5 अग्रणी राज्यों में है।

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कुछ समय से विभाग द्वारा रिटर्न फाइलिंग के अतिरिक्त आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं डाटा एनालिटिक्स का उपयोग कर संबंधी प्रक्रियाओं में विभिन्न रिस्क पैरामीटर पर संदिग्ध व्यावसायियों का चिन्हांकन किया जा रहा है। वाणिज्यिक कर आयुक्त श्री लोकेश कुमार जाटव के निर्देशों पर निरंक कर दायित्व का रिटर्न फाइल करने वाले व्यवसायियों के विरुद्ध कार्रवाई प्रारंभ की गई है।

विभाग की आईटी टीम द्वारा जीएसटी बैंक ऑफिस पोर्टल, गेन पोर्टल, एनआईसी ई-वे बिल पोर्टल एवं एनआईसी प्राइम पोर्टल पर उपलब्ध डाटा का निरंतर सूक्ष्म विश्लेषण किया जा रहा है। रिस्क पैरामीटर के आधार पर डाटा विश्लेषण से यह मालूम चला है कि राज्य में पंजीकृत अनेक व्यवसायियों द्वारा माल की सप्लाई के लिये बड़ी राशि के अधिक मात्रा में ई-वे बिल डाउनलोड किए जा रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा प्रस्तुत मासिक/त्रैमासिक विवरण पत्रों में निरंक टर्नओवर दर्शाया जा रहा है।

इन व्यवसायियों द्वारा कर दायित्व की जानकारी छुपाकर कर अपवंचन करने का प्रयास किया जा रहा है। यह पाया गया है कि व्यवसायियों द्वारा बड़ी राशि के ई-वे बिल डाउनलोड किए गए, परंतु निरंक कर दायित्व के विवरण पत्र प्रस्तुत किए गए हैं। विभिन्न व्यवसायियों द्वारा लाखों के ई-वे बिल डाउनलोड कर माल की आवक दर्शाई गई है। साथ ही उक्त माल में मूल्य संवर्धन कर आउटवर्ड सप्लाई भी दर्शाई गई है। परंतु जीएसटी मासिक विवरण भरते समय वित्तीय संव्यवहारों को छुपा कर, निरंक टर्नओवर दर्शाया गया है।

कुछ व्यवसायियों द्वारा फर्जी बिल एवं फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट अन्य व्यवसायियों को दिए जाने की संभावना है। कर अपवंचन की संभावना को देखते हुए इन व्यवसायियों के व्यवसाय स्थलों पर भौतिक सत्यापन का कार्य प्राथमिकता से किए जाने का निर्णय लिया गया।  साथ ही उनके द्वारा प्रस्तुत विवरण-पत्रों का विभाग के पास उपलब्ध गोपनीय जानकारियों से मिलान कर आगामी कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है।

आयुक्त जाटव द्वारा वृत्त कार्यालयों एवं कर अपवंचन को रोकने के लिए इवेजन ब्यूरो को निर्देश दिए गए हैं। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि आवश्यक हुआ तो माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 69 और 122 के तहत गिरफ्तारी एवं शास्ति संबंधी कार्यवाही की जाए।


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