दरअसल मध्यप्रदेश दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम के क्रियान्वयन नियम 1991 (Madhya Pradesh Deendayal Antyodaya Program Implementation Rules 1991) के तहत बनाए गए नियम को प्रदेश में लागू कर दिया गया है। वहीं अब समितियों का गठन किया जाएगा। जिसके तहत सरकारी योजनाओं की निगरानी की जिम्मेदारी समितियों को सौंपी जाएगी। इस समिति में मुख्यमंत्री (Chief minister) राज्य स्तर पर जबकि जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे।
इसके अलावा राज्य स्तरीय समिति में प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। बता दें कि 1991 से यह समितियां मध्यप्रदेश में काम कर रही थी। वही नए मॉडल में समितियां जिला, नगर और ग्राम पंचायत स्तर पर तैयार की जाएंगी। जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा।
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वहीं कार्यकर्ताओं का कार्य सरकारी योजनाओं की निगरानी के अधिकार के रूप में तय किए जाएंगे। हालांकि इन कार्यों के लिए उन्हें मानदेय तो नहीं मिलेगा लेकिन ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर शामिल होने के लिए उन्हें दैनिक भत्ता और यात्रा भत्ता (travelling allowance) दिया जाएगा। इसके अलावा साल में दो बार और जिला और विकास स्तर पर महीने में एक बार समिति की बैठक होगी। जिनमें कार्यों की समीक्षा की जाएगी।
इसके लिए राज्य स्तरीय समिति में मुख्यमंत्री समिति के अध्यक्ष होंगे वहीं विभागीय सचिव समिति के महासचिव होंगे मुख्यमंत्री 52 अशासकीय सदस्यों को नामित करेंगे। जबकि जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री अध्यक्ष होंगे जबकि जिला अध्यक्ष सचिव होंगे समिति में 10 से 31 तक सदस्य रहेंगे। जिन का नामांकन प्रभारी मंत्री करेंगे। वहीं अगर नगर स्तरीय समिति की बात करें तो प्रत्येक नगर पालिका, नगर निगम और नगर पंचायत में गठित होने वाली समिति में 10 से 21 सदस्य होंगे।
विकासखंड स्तरीय समिति में भी 21 अधिकतम सदस्य को मान्यता दी जाएगी। जिन्हें प्रभारी मंत्री नियुक्त करेंगे। इनमें से एक सदस्य को अध्यक्ष बनाया जाएगा जबकि अनुभाग अधिकारी राजस्व समिति के सचिव नियुक्त होंगे। वही ग्राम पंचायत स्तरीय समिति में 5 से 11 सदस्य होंगे प्रभारी मंत्री और शासकीय व्यक्ति को सदस्य नामांकित करेंगे। जिनमें से एक को सदस्य नियुक्त किया जाएगा। वहीं अर्धशासकीय अधिकारी और कर्मचारी समिति के सचिव बनाए जा सकेंगे।