भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में अब निजी स्कूलों (private schools) पर शिकंजा कस सकता है। दरअसल हाई कोर्ट (high court) द्वारा निजी स्कूलों से फीस (fees) की डिटेल मांगी गई है। जिससे निजी स्कूलों की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग (School education department) को आदेश दिया है कि सभी प्राइवेट स्कूल से पिछले 3 साल का फीस का ब्योरा प्रस्तुत किया जाए।
इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 51,000 स्कूलों में से मात्र 16,000 स्कूलों की तरफ से अभी तक जानकारी प्राप्त हुई है। इतना ही नहीं इन 16,000 स्कूलों ने भी आधी अधूरी जानकारी प्रेषित की है। वही माना जा रहा है कि यदि निजी स्कूल समय पर पिछले 3 साल की फीस का ब्यौरा नहीं पेश करते हैं तो हाई कोर्ट की निगरानी में निजी स्कूल फीस घोटाले की जांच की जा सकती है।
दरअसल बीते दिनों प्राइवेट स्कूल में फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों की शिकायत पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MP high court) ने आदेश जारी किया था कि सभी स्कूल विस्तारपूर्वक यह बताएंगे कि वह किस किस मद में फीस वसूल कर रहे हैं। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग को ऑर्डर प्रेषित किया गया था। जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस काम के लिए नियुक्त किया गया था।
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बता दें कि मध्य प्रदेश में कोरोना के पहली लहर के बाद स्कूलों को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद अभिभावकों द्वारा लगातार निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को लेकर कई तरह के मामले सामने आये थे। इस दौरान सरकार द्वारा भी निजी स्कूल की फीस को लेकर बड़े निर्देश दिए गए थे। मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद हाईकोर्ट द्वारा निजी स्कूलों से पिछले 3 साल की फीस का ब्यौरा मांगा गया है।
हालांकि corona की पहली और दूसरी लहर में बंद पड़े स्कूलों को एक बार फिर से खोल दिया गया है। शिवराज सरकार द्वारा बड़ा निर्णय लेते हुए पिछले महीने स्कूल को खोलने (MP School Reopen) पर सहमति बनी थी। इस दौरान छोटे बच्चे के स्कूलों को फिलहाल बंद रखा गया है। जबकि स्कूल कॉलेज और हॉस्टलों को खोलने के निर्देश जारी किए गए थे।