भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एमपीपीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2019 (MPPSC State Service Exam 2019) के राह में कई कांटे नजर आ रहे हैं। दरअसल 577 पदों पर होने वाली भर्ती के लिए एक बार फिर से परीक्षा के आयोजन की अटकलें तेज हो गई है। MPPSC की तरफ से ऐसे संकेत दिए जा चुके हैं। वहीं प्रारंभिक परीक्षा 2019 का मामला एक बार फिर से आरक्षण की भेंट चढ़ चुका है। अब इस मामले में अभ्यर्थी के दो ग्रुप तैयार हो गए हैं। इंटरव्यू तक पहुंचे 1918 उम्मीदवार जहां चाहते हैं कि किसी भी स्थिति में पुरानी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जानी चाहिए लेकिन PSC की प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई जीत चुके उम्मीदवार पूरी मुख्य परीक्षा फिर से करवाने की बात पर अड़ गए हैं।
उम्मीदवार को कहना है कि आयोग को 2019 की परीक्षा में पदों की संख्या को बढ़ाना चाहिए और उम्मीदवारों को होने वाले नुकसान से उसे राहत दी जानी चाहिए। हालांकि आरक्षण की प्रक्रिया अभी भी कोर्ट में लंबित है। वही कोर्ट की तरफ से जब तक आरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय नहीं दिए जाते हैं। तब तक राज्यसेवा 2019 का मामला ठंडे बस्ते में ही नजर आ रहा है। इससे पहले राज्यसेवा 2019 की कानूनी लड़ाई आरक्षण के नियम में हुए बदलाव को लेकर थी।
राज्य सेवा परीक्षा 2019 के लिए मुख्य परीक्षा का आयोजन 21 से 26 मार्च 2021 को किया गया था। जिसके बाद PSC ने नए नियम लागू करते हुए आरक्षित श्रेणियों के मेरिट होल्डर अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटों पर जगह नहीं दी गई थी। उन्हें आरक्षित श्रेणी की मेरिट में जगह दी गई थी। कोर्ट ने पुराने नियम से परीक्षा परिणाम घोषित करने का फैसला किया था।
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आरक्षण की प्रक्रिया कोर्ट में लंबित होने के बाद छात्रों द्वारा आयोग से परीक्षा ना कराने की बात की गई थी। वहीं छात्रों ने आयोग से कोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार करते हुए प्रक्रिया रोकने को कहा था। हालांकि प्रक्रिया नहीं रोकी गई। अब प्रारंभिक परीक्षा के बदले परिणामों के साथ मुख्य परीक्षा से जल्द से जल्द आयोजित करवाने की मांग पर छात्र अड़ गए हैं।
वही जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 रिजल्ट फिर से जारी किए जाएं।गे ऐसा होने की स्थिति में एक बार फिर से परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है। यदि मुख्य परीक्षा का आयोजन फिर से किया जाता है तो कई उम्मीदवार मेरिट लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। इसके लिए अन्य गुटों के उम्मीदवारों द्वारा बीच का रास्ता निकालने की मांग की जा रही है।
वही कोर्ट के आदेश के बाद प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट फिर से तैयार किए जाएंगे। ऐसा होने की स्थिति में एमपीपीएससी के पास एकमात्र विकल्प मुख्य परीक्षा का आयोजन संभवत नजर आ रहा है। ऐसे में प्रारंभिक परीक्षा परिणाम के पुनरीक्षण के बाद जो परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होंगे। वही मुख्य परीक्षा में शामिल हो पाएंगे। ऐसे में मुख्य परीक्षा में सफल हुए उम्मीदवार और इंटरव्यू तक पहुंचे पात्र उम्मीदवार को बड़ा झटका लगेगा। जिसमें छात्रों द्वारा एमपीपीएससी से पद बढ़ाकर परीक्षा आयोजित करने की मांग शुरू कर दी गई है। हालांकि ऐसी स्थिति में भी नए नियम के तहत बने रिजल्ट से पास हुए उम्मीदवारों के लिए नुकसान को पाटना आसान नहीं होगा।