ग्वालियर, अतुल सक्सेना। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के ग्वालियर आगमन (Gwalior Visit) से पहले ग्वालियर में भाजपा नेताओं और सिंधिया समर्थकों ने शहर को पोस्टर, बैनर, होर्डिंग से पाट दिया है। इन होर्डिंग, बैनर और पोस्टर में ऐसा कुछ है कि जिसको देखकर बहुत से लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बड़े महाराज यानि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधव राव सिंधिया (Madhav Rao Scindia) भी भाजपा (BJP) के हो गए हैं ?
दर असल केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 सितम्बर से 24 सितम्बर तक ग्वालियर के दौरे पर आ रहे हैं। उनके स्वागत के लिए उनके समर्थकों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने होर्डिंग, पोस्टर, बैनर लगाए हैं। इसमें खास बात ये है कि होर्डिंग, बैनर, पोस्टर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधव राव सिंधिया और उनकी दादी वरिष्ठ भाजपा नेत्री स्वर्गीय राजमाता विजय राजे सिंधिया की तस्वीर भी दिखाई दे रही है।
इधर कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के दौरे का विरोध कर रही है , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा इसीलिए इस समय ग्वालियर के दौरे पर है। कांग्रेस नेताओं ने भी उनके स्वागत के लिए शहर में होर्डिंग बैनर पोस्टर लगाए, लेकिन कोंग्रेस के पोस्टर से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधव राव सिंधिया की तस्वीर गायब दिखी।
अब जब दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की तस्वीर कांग्रेस के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग से गायब हो और भाजपा के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग पर सवाल उठना लाजमी है। लोग पोस्टर वार को देखकर सवाल कर रहे हैं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ स्वर्गीय माधव राव सिंधिया भी भाजपा के हो गए ?
इस विषय में जब मीडिया ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि माधव राव सिंधिया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, हम उनका पूरा सम्मान करते हैं, कांग्रेस उनकी जयंती, पुण्यतिथि मनाती है कांग्रेस कार्यालय में उनकी मूर्ति भी लगी है। कुछ कार्यकर्ताओं ने भूल से तस्वीर नहीं लगाई होगी।
उधर पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का अब ग्वालियर चम्बल संभाग में ग्लेमर ख़त्म हो गया है, माधव राव सिंधिया पवित्र आदमी थे तो उनकी छवि कैश कराने के लिए तस्वीर लगाई है, इन लोगों को बहुत दिन बाद अपने परिजनों की याद आती है। हमें कोई तकलीफ नहीं है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....