बिना मान्यता के स्कूल का मामला: अधिकारी भी लपेटे में, मंत्री ने दिए जांच के आदेश

Atul Saxena
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Dabra st Peters School case : ग्वालियर जिले के डबरा में स्थित सेंट पीटर्स स्कूल का मामला गहरा गया है। इस मामले में शासन स्तर पर जांच की कार्यवाही शुरू हो गई है। स्कूली शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार ने इसे गंभीरता से लेते हुए आला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस मामले के दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।

बाल आयोग के सदस्यों को मिली थी भारी अनियमितता 

सप्ताह भर पहले डबरा स्थित सेंट पीटर्स स्कूल में बाल आयोग की टीम ने निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के दौरान बाल आयोग के दो सदस्यों ओंकार सिंह और डॉ निवेदिता शर्मा चतुर्वेदी को काफी अनियमितताएं मिली जिसमें प्राचार्य सहित शिक्षकों का पुलिस वेरिफिकेशन न होना, स्कूली छात्राओं के लिए सुरक्षित टॉयलेट की व्यवस्था ना होना, बिना डायवर्सन की भूमि पर स्कूल का निर्माण किया जाना, स्कूल के साथ चर्च का निर्माण व नन का निवास स्थान होना पाया गया था।

हर छोटी कक्षा में एक धर्म विशेष की उपासना पद्धति की पुस्तक मिली 

इसके साथ ही इस स्कूल के भवन में हर छोटी कक्षा में एक धर्म विशेष की उपासना पद्धति की पुस्तक भी रखी पाई गई और एक कमरे में काफी बड़ी मात्रा में धर्म संबंधी साहित्य भी मिला। बाल आयोग के सदस्यों ने यह भी पाया कि इस स्कूल का मुख्य कार्य लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना भी है।

ICSE का दावा लेकिन मप्र शासन की मान्यता भी नहीं 

लेकिन इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात जो सामने आई हुई है कि ICSE की मान्यता का दावा करने वाला स्कूल मध्यप्रदेश शासन की 2016 से मान्यता ले ही नहीं रहा है। इस संबंध में स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल को 2018 और 2021 में दो बार नोटिस भी जारी किए लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

आला अधिकारी आंख बंद कर देते रहे शासन की सुविधाएँ 

हैरत की बात यह भी रही कि बिना मान्यता के चलते इस स्कूल को स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारी हर साल मिलने वाली छात्रवृत्ति जरूर देते रहे यानि कक्षा 1 से लेकर 8 तक पढ़ने वाले बच्चे बिना किसी मान्यता के स्कूल में पढ़ते रहे और उसके बाद उन्हें 9th और 10th में एडमिशन किस आधार पर दिया गया, यह भी समझ से परे है। इस पूरे मामले में ICSE प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश 

मामले की जानकारी मध्य प्रदेश सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को जैसे ही मिली उन्होंने इसे बेहद गंभीरता से लिया है। स्कूली शिक्षा मंत्री ने विभाग के आला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस बात का पता लगाएं कि आखिरकार स्कूल ने मान्यता क्यों नहीं ली? मंत्री ने कहा कि इस तरह उसने शिक्षा के अधिकार अधिनियम का सीधे-सीधे दुरुपयोग कर आपराधिक कृत्य किया है।

पूरे मामले में अधिकारियों की संलिप्तता पर भी नजर 

स्कूली शिक्षा विभाग के मंत्री का मानना है कि यह सारा गोरखधंधा बिना अधिकारियों की सहमति के नहीं चल रहा होगा और इसमें अधिकारियों की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता। परमार ने संकेत दिए हैं कि यदि किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई भी मामला बनता है तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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