.. तो क्या बागी तेवर की सजा मिली वरुण गांधी को, मां मेनका सहित राष्ट्रीय कार्यसमिति से बाहर

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।  भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) ने आज 7 अक्टूबर गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यसमिति की घोषणा कर दी। कार्यसमिति में 80 सदस्य हैं जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ नेता आडवाणी सहित वरिष्ठ नेताओं हैं।  लेकिन इस कार्यसमिति में इस बार सांसद वरुण गांधी और उनकी मां सांसद मेनका गांधी का नाम  गायब है। चर्चा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर वरुण गांधी लगातार ट्वीट कर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे थे इसलिए उन्हें और उनकी मां को सजा मिली है।

लखीमपुरी खीरी हिंसा के बीच आई भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति (BJP National Working Committee) की लिस्ट से मेनका गांधी (Menaka Gandhi) और वरुण गांधी (Varun Gandhi) का नाम गायब है जबकि इस बार दो नए नाम मध्यप्रदेश से जुड़े हैं एक नाम है केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का और दूसरा नाम है मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का।  पहली बार ये दोनों नाम शामिल किये गए हैं।

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में 80 सदस्य होते हैं और ये पार्टी से जुड़े महत्वपूर्ण फैसलों में इन सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन पार्टी द्वारा वरुण गांधी और मेनका गांधी से ये अधिकार वापस लेने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सियासत से जुड़े लोग इसे वरुण गांधी द्वारा लखीमपुर खीरी हिंसा से जुड़े वीडियो और ट्वीट से जोड़कर देख रहे हैं।  हालाँकि भाजपा से जुड़े लोग इसे पार्टी की एक रुटीन प्रक्रिया बता रहे हैं।

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गौरतलब है कि पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने घटना के बाद 4 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक पत्र लिखकर ट्वीट किया – लखीमपुर खीरी की हृदय-विदारक घटना में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से सख्त कार्यवाही करने का निवेदन करता हूँ।

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5 अक्टूबर को वरुण गांधी  ने फिर ट्वीट किया और एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा- लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों से जानबूझकर कुचलने का यह वीडियो किसी की भी आत्मा को झखझोर देगा। पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कर तत्काल गिरफ्तार करे।

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आज 7 अक्टूबर को वरुण गांधी ने एक ऐसा वायरल वीडियो ट्वीट किया जिसमें एक काले रंग की गाड़ी किसानों को रौंदते हुए जा रही है। वरुण ने अंग्रेजी में ट्वीट करते हुए लिखा – ये वीडियो कांच की तरह साफ है। हत्या के जरिये प्रदर्शनकारियों को चुप नहीं कराया जा सकता।  किसानों के निर्दोष खून के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए और क्रूरता एवं अहंकार का सन्देश हर किसान के दिमाग में आने से पहले न्याय दिया जाना चाहिए।

वरुण गांधी के ये बगावती तेवर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं जबकि केंद्रीय नेतृत्व से लेकर उत्तरप्रदेश सरकार ने न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।  योगी सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए मृतकों के परिवार को मुआवजा, सरकारी नौकरी, मुक़दमे दर्ज करने की घोषणा की है बावजूद इसके वरुण गांधी के तेवर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

बहरहाल ये पार्टी का अंदरूनी और अध्यक्ष का अधिकार क्षेत्र का मामला है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति में किसे रखना है और किसे नहीं लेकिन लखीमपुरी खीरी हिंसा के बाद वरुण गांधी के बगावती  तेवरों का ट्वीट के रूप में बाहर आना, फिर उनका और उनकी मां को राष्ट्रीय कार्यसमिति से हटा देना बहुत कुछ संकेत दे रहा है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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