नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। रेलवे कर्मचारियों (Railway Employees) के लिए बड़ी खबर है। दरअसल पदोन्नति में आरक्षण (Reservaton In Promotion) के मामले में रेल मंत्रालय (rail ministry) ने नवीन आदेश जारी किए हैं। जिसमें पदोन्नति में आरक्षण लागू करने से पहले की जाने वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया। रेलवे बोर्ड स्पष्टीकरण आदेश में बताया गया है कि पदोन्नति में आरक्षण से पहले किस तरह के लाभार्थियों को इसका लाभ दिया जाना है। इसके लिए कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस पर स्पष्टीकरण आदेश जारी किए गए हैं। जिसका लाभ कर्मचारियों को मिलेगा।
आदेश में कहा गया है कि बोर्ड के पत्र सं. के पैरा 4(बी) की ओर ध्यान देना आवश्यक है। 95-ई(SCT)I/49/5(2) दिनांक 21.08.1997, के मुताबिक, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि रोस्टर के उद्देश्य के लिए संवर्ग का अर्थ एक विशेष ग्रेड होगा और इसमें किसी विशेष द्वारा भरे जाने वाले पदों की संख्या कोडल/मैनुअल प्रावधानों या समय-समय पर जारी रेलवे बोर्ड के निर्देशों के अनुसार भर्ती का तरीका शामिल होगी। ।
जहां तक आरबीई संख्या 126/2010 का संबंध है, यह उल्लेख किया गया है कि रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या 2016-ई (SCT) I/25/8 दिनांक 30.09.2016 के तहत इसे तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया था। इसके अलावा बोर्ड के दिनांक 19.06.2018 के समसंख्यक आदेशों के संदर्भ में, माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 17.05.2018 और 5.06.2018 के निर्देशों के अनुसार मौजूदा वरिष्ठता / चयन सूची पर पदोन्नति करने की सलाह दी गई है।
वहीँ जारी आदेश पत्र के मुताबिक अब बोर्ड के पत्र संख्या 2018-ई (SCT) I/25/9 दिनांक 13.04.2022 और 02.05.2022 के माध्यम से डीओपी एंड टी के कार्यालय ज्ञापन सं.36012/16/2019-स्था.(Res.) दिनांक 12.04.2022, जिसमें बोर्ड के पत्र सं.95-ई(एससीटी)I/49/5(2 में निर्धारित निर्देशों/दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है) जिसमें दिनांक 21.08.1997 रोस्टर के रखरखाव के संबंध में नए निर्देश जारी किए गए थे। । इस संबंध में अनुबंध-1 के पैरा 10 की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि रोस्टर का संचालन करते समय, उन समुदायों से संबंधित व्यक्तियों का चयन नहीं करना चाहिए। जिनके लिए आरक्षण किया गया है, लेकिन जो योग्यता के आधार पर नियुक्त किए गए हैं और आरक्षण के कारण नहीं हैं। आरक्षित बिंदुओं के खिलाफ ये दिखाया जाना चाहिए। क्योंकि ऐसे कर्मचारी अनारक्षित बिंदुओं पर कब्जा करेंगे।
इसके अलावा आदेश में यह बताया जाता है कि चूंकि जरनैल सिंह बैच के मामले अभी भी भारत के सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं, इसलिए जारी किया गया कोई भी पदोन्नति आदेश आगे के आदेशों के अधीन होगा, जो मामलों के उक्त बैच में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित किया जा सकता है।