वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर देखने का समय- प्रवीण कक्कड़

Kashish Trivedi
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भोपाल, प्रवीण कक्कड़। आजकल जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, उसमें डीजल-पेट्रोल और गैस जैसे पारंपरिक ईंधन की कीमतें सबसे प्रमुख हैं। इसके साथ ही देश के बिजली घरों के सामने बढ़ते कोयला संकट पर भी रह रह कर बातचीत होती रहती है। यह सारे इंधन असल में पेट्रोलियम और फॉसिल फ्यूल से बने हैं।

यूरोप से शुरू हुई औद्योगिक क्रांति के बाद से लेकर आज तक इन ईंधन ने मानव सभ्यता के तेज विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। इसमें संदेह नहीं है कि अभी भी इनके पास बहुत सी भूमिका निभाने की गुंजाइश बची है लेकिन कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं होती। इन पारंपरिक ईंधन के मामले में भी यही स्थिति हमारे सामने उत्पन्न हो गई है। बिजली पैदा करने के लिए कोयला उत्खनन के क्षेत्र सीमित होते जा रहे है, इसके अलावा कोयला उत्खनन के लिए जंगलों को उजाड़ना एक नई पर्यावरण चुनौती बनती जा रही है।

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