भोपाल| मोबाइल से ‘मिस्ड कॉल’ के जरिए व्यापक सदस्यता अभियान चलाकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनने का दंभ भर रही बीजेपी को बड़ा झटका लगा है| मध्य प्रदेश में भाजपा का सदस्यता घोटाला सामने आया है| लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के ऐसे करीब 57 लाख सदस्यों का कोई अता पता नहीं है। इस सूचना के सामने आते ही भाजपा में हड़कंप की स्थिति बन गई। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी इस मामले में नाराजगी जताई है।
दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने देश भर में मिस्ड कॉल के जरिए लोगों को पार्टी से जोड़ने का कैंपेन शुरु किया था। इसी अभियान के तहत मध्य प्रदेश में करीब एक करोड़ सदस्यों को पार्टी से जोड़ने का दावा किया गया। वहीं बीजेपी का दावा था कि पार्टी ने पूरे देश में 10 करोड़ से अधिक सदस्य बनाए| अब प्रदेश भाजपा संगठन ने अपने 1 करोड़ सदस्यों का डिजिटल सत्यापन करवाया है, जिसमें से करीब 57 लाख सदस्यों का पता नहीं चल रहा है| ख़बर के अनुसार पार्टी ने मिस्ड कॉल वाले एक-एक नबंर पर फोन कर सदस्यों से संपर्क करने का प्रयास किया। जिसमें 57 लाख सदस्यों के नबंर आउट ऑफ सर्विस आए। इस बात का पता चलते ही पार्टी में हड़कंप मच गया।सत्यापन की इस प्रक्रिया में यह बात भी सामने आई है कि 1 करोड़ सदस्यों का आंकड़ा प्राप्त करने के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद से अलग-अलग नबंरों से मिस्ड कॉल कर सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई है।
शाह ने तलब की जानकारी
मीडिया पर चल रही ख़बरों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश के बाद ये वैरीफिकेशन कराया गया। ये सारी जानकारी शाह कार्यालय ने तलब की है। सदस्यों के नाम पर हुए फर्जीवाड़े पर शाह ने नाराजगी भी जताई है। ऐसे में जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार लोकसभा चुनाव के बाद जिम्मेदारों पर एक्शन लिया जाएगा। वैरीफिकेशन में ये बात सामने आई है कि टेक्नीकल एक्सपर्ट की मदद लेकर सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई।
विरोधी के निशाने पर रहा मिस्ड काल अभियान
बीजेपी के मिस्ड कॉल के जरिए सदस्यता अभियान हमेशा विरोधियों के निशाने पर रहा है। इस पर आरोप लगते आ रहे हैं कि मिस्ड कॉल के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं, वे फर्जी हैं। हालांकि सदस्यों के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी भारत की सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं इस मामले में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष विजेश लूनावत का कहना है कि हमने एक करोड़ सदस्य बनाए थे। इनमें से कोई सदस्य हमसे दूर नहीं हुआ है। लेकिन, सत्यापन की इस प्रक्रिया में पूरी संख्या नहीं मिल पाई। माना जा रहा है कि बहुत सारे उपभोक्ता जियो में शिफ्ट हो गए।