भोपाल| वाकई एमपी गजब है। यहां जो ना हो जाए वह कम है। ताजा मामला मलाईदार और कुख्यात माने जाने वाले आबकारी विभाग से जुड़ा हुआ है| जिस में सहायक आयुक्त पद के एक अधिकारी को गंभीर विभागीय जांच के चलने के बाद भी प्राइम पोस्टिंग दे दी गई। विक्रम सिंह सान्गर नाम का ये अधिकारी वर्तमान में सहायक आयुक्त आबकारी धार जिले में पदस्थ है। 2016 में जब इनकी पदस्थापना सहायक आबकारी आयुक्त झाबुआ के पद पर थी तभी विभाग के एक निरीक्षक हरेन्द्रजीत घुरिया ने गुजरात बॉर्डर पर अवैध शराब से लदे दो ट्रक पकड़े थे। यह अवैध शराब धार जिले की डिस्टलरी से निकाली गई थी और गुजरात स्मगल होकर जा रही थी। घुरैया ने जब शराब पकड़ी तब विक्रम सिंह सान्गर ने उन्हें फोन किया और शराब छोड़ देने के लिए दबाव डाला। दोनों के बीच बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ और उसके कारण आला अधिकारियों को विक्रम को तत्काल मुख्यालय अटैच करना पड़ा और उनकी विभागीय जांच भी शुरू हो गई। कुछ दिन बाद विक्रम ने जांच रिपोर्ट अपने पक्ष में करवा ली लेकिन बल्लभ भवन में बैठे एक ईमानदार अधिकारी ने पुनः जांच शुरू की और वर्तमान में अब कार्रवाई के लिए यह जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव आबकारी के पास लंबित है।
नियमासार किसी भी अधिकारी पर जांच के चलते उसे प्राइम पोस्टिंग नहीं दी जाती लेकिन धार जिले के शराब माफियाओं ने सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए विक्रम सिंह सान्गर को धार जिले में ही पदस्थ करा लिया ताकि शराब की तस्करी का धंधा बेरोकटोक चलता रहे। इतना ही नहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भी मध्य प्रदेश के धार जिले की डिस्टलरी से गई शराब पकड़ी गई थी जिस पर अभी कार्रवाई चल रही है। इससे यह साफ समझा जा सकता है कि शराब माफियाओं के लिए धार जिला कितना महत्वपूर्ण है जो उनके मध्य प्रदेश के बाहर शराब की तस्करी कराने में एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बना हुआ है। यही कारण है कि शराब माफिया अपने मनचाहे अधिकारियों की पोस्टिंग धार जिले में कराते हैं ताकि उनका धंधा बेरोकटोक चलता रहे|