चुनाव से पहले बीजेपी को एक और झटका, पूर्व विधायक का इस्तीफा

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शहडोल| लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को लगातार झटके लग रहे हैं| अब एक और बड़ा झटका पार्टी को शहडोल में लगा है, जहां लगातार इस्तीफों का दौर चल रहा है| अब पूर्व विधायक छोटेलाल सरावगी ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है| वे लम्बे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे| उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफा देने का ऐलान किया| उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को अपना इस्तीफा भेजा है| इससे पहले भाजपा जिला पंचायत उपाध्यक्ष पूर्णिमा तिवारी ने भी भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था| यह लगातार दूसरा बड़ा झटका बीजेपी को लगा है| सरावगी सुहागपुर सीट से विधायक रहे हैं |

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी जहां तैयारियों में जुटी हुई हैं, वहीं नेताओं की नाराजगी पार्टी के चुनावी समीकरण ध्वस्त कर रही है| शहडोल में सबसे ज्यादा बगावत देखने को मिल रही है| जहां पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई हिमाद्रि सिंह को प्रत्याशी बनाया तो सबसे पहले वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह जिनका टिकट कटा है, वे नाराज होकर बगावत पर उतर आये लेकिन निर्दलीय मैदान में नहीं उतरे| लेकिन समर्थन करने से भी उन्होंने इंकार कर दिया| हिमाद्रि को उन्होंने उपचुनाव में हराया था| लेकिन पार्टी ने उनका ही टिकट काट कर हिमाद्रि को मैदान में उतार दिया| इस फैसले से शहडोल जिले में बीजेपी का एक खेमा बेहद नाराज है| इसी नाराजगी के चलते विरोध भी सामने आ रहे हैं|  एक दिन पहले ही भाजपा जिला पंचायत उपाध्यक्ष पूर्णिमा तिवारी ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था| अब गुरूवार को पूर्व विधायक छोटे लाल सरावगी ने भी बीजेपी से इस्तीफा दे दिया| उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें हैं| 

उन्होंने बताया कि वे लम्बे समय से पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे थे| उनका आरोप है कि पार्टी को सिर्फ चुनाव के समय हमारी याद आती है, चुनाव में हमारा इस्तेमाल किया जाता है| सरावगी ने कहा कि सन 1985 में भाजपा के शीर्ष नेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के आगमन अवसर पर उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली थी। उन्होंने कहा कि भाजपा में परिवार की जो भावना पहले थी वह अब कहीं देखने को नहीं मिलती है इसीलिये उन्होंने पार्टी से नता तोड़ लिया है। भविष्य में वह किसी पार्टी में शामिल होंगे या नहीं इस संबंध में उन्होंने सोच विचार कर निर्णय लेने की बात कही |

छोटेलाल के पार्टी छोड़ने से भाज्पा को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है|  छोटेलाल क्षेत्र में वर्चव वाले नेता माने जाते हैं, और उनके समर्थकों की संख्या भी अधिक है| ऐसी स्तिथि में हिमाद्रि के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो गया है| वहीं पार्टी के लिए भी चिंता का विषय है क्यूंकि एक दर्जन से अधिक सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों का विरोध है, जिसके चलते चुनाव में नुकसान की आशंका बन गई है| 


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