भोपाल। विधानसभा चुनाव में हारे हुए कांग्रेस दिग्गजों को पार्टी लोकसभा चुनाव में उतारने की रणनीति बना रही है। यह फैसला इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए कोई खास चेहरे नहीं हैं। कांग्रेस को इस बात का विश्वास है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही वह आम चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन करेगी और अधिकाधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी।
अपनी पारिवारिक सीट चुरहट से हारने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को पार्टी सीधी संसदीय क्षेत्र से टिकट दे सकती है। गुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गए कांग्रेस के विरष्ठ नेता सुंदर लाल तिवारी रीवा से चुनाव लड़ सकते हैं। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह जो अमरपाटन से चुनाव हारे थे उन्हें सतना से टिकट मिलने की उम्मीद है। पवई से चुनाव हार गए मुकेश नायक को दमोह से टिकट मिलने की आशंका है। विजयपुर से हारने वाले रामनिवास रावत, मुरैना से चुनाव लड़ सकते हैं। बुधनी से चुनाव हारने वाले अरुण यादव को खंडवा से टिकट मिल सकता है; और भोजपुर से चुनाव हारने वाले सुरेश पचौरी को लोकसभा चुनाव के लिए होशंगाबाद से टिकट मिल सकता है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्री मंडल में कई नेताओं को जगह नहीं दे पाएं हैं। जीते हुए विधायकों ने पहले ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसलिए आलाकमान ने विधानसभा चुनाव में हारे हुए दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव की तैयारी करने के लिए कहा है। सीएम भी कुछ नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारना चाहते हैं। पार्टी संगठन में काम करने वाले नेताओं को भी राजनीतिक नियुक्तियों के माध्यम से समायोजित किया जाना है। इसलिए इन दिग्गजों को पार्टी में किसी भी बड़े पद पर नियुक्ति नहीं किया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष, रावत, और यादव का नाम पहले से ही प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए दौड़ में शामिल है। अंदरखाने की खबर है कि पीसीसी चीफ के लिए लोकसभा चुनाव तक कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।