भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पिछले काफी लंबे समय से विवादों में चल रहा जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल इस बार प्रबंधन ने इस हॉस्पिटल के डायरेक्टर को मनमर्जी तरीके से बाहर का रास्ता दिखा दिया है जिसके विरोध में अस्पताल के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ खुलकर सामने आ गए हैं।
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जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल के निर्विवाद और बेहद ईमानदार रहे डायरेक्टर डॉक्टर को लेकर को प्रबंधन ने बिना कोई कारण बताए बर्खास्त कर दिया है, जिसके विरोध में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ खुलकर सामने आ गए हैं। बताया जाता है कि सरकार की कृपा से खुले इस अस्पताल का संचालन जो ट्रस्ट करता है वह किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से इसे संचालित करना चाहता है, जबकि डॉक्टर कोल्हेकर ने इसका साफ तौर पर विरोध किया था। इस पर अस्पताल प्रबंधन में डॉक्टर कोल्हेकर को बर्खास्त कर दिया। इसका भारी विरोध हो रहा है। डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की हड़ताल पर जाने के चलते अस्पताल में मरीजों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
यह पहला मौका नहीं जब अस्पताल विवादों के घेरे में आया हो। इस अस्पताल की सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य और गैस राहत संगठन ने पहले भी कमिश्नर से शिकायत की थी कि अस्पताल ट्रस्ट के नाम पर दवा कंपनियों से डिस्काउंट तो लेता है लेकिन मरीजों को प्रिंट रेट कर दवाइयां बेचकर दोहरा लाभ कमा रहा है। प्रबंधन पर कर्मचारियों की नियुक्ति में भी भारी लेनदेन के आरोप लगे थे और रिश्तेदारों को मोटे वेतन पर रखने की बात भी सामने आई थी। इतना ही नहीं, अस्पताल की सीईओ के लिए 80 लाख रूपये के आवास निर्माण कराए जाने की बात भी अस्पताल प्रांगण में आई थी जिसका विरोध होने के बाद में इसे रोक दिया गया था। गैस पीड़ित संगठनों ने मांग की है कि जिस उद्देश को लेकर सरकार ने इस अस्पताल को रियायती दर पर जमीन दी थी और इसकी स्थापना की गई थी, अब यह मूल उद्देश्य खो बैठा है और वर्तमान ट्रस्ट पदाधिकारी पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसीलिए अब इसका सरकार को अधिग्रहण कर लेना चाहिए।