भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP News) में हुए मानदेय घोटाले में जांच तेज हो गई है। यहां 14 जिलों की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं (Anganwadi workers) का मानदेय का 26 करोड़ रुपया कंप्यूटर ऑपरेटर्स सहित 89 खातों में डाला गया है। हैरानी की बात तो ये है कि 3 साल बाद भी मामले की जांच ना हो पाई, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रिपोर्ट तलब करने को कहा है।संभावना है कि अगले एक-दो दिन में महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट सौंप सकता है।इसके बाद लापरवाहों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2018 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने पोषण आहार मामले में बड़ी लापरवाही उजागर की थी। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच भोपाल, रायसेन के परियोजना अधिकारियों (PO) ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं की करीब 3.19 करोड़ रु. की मानदेय राशि डाटा एंट्री और कंप्यूटर ऑपरेटरों, चपरारी और अपने चहेते समेत 89 बैंक खातों में जमा करा दी और दस्तावेजों में बताया था कि राशि आंगवबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दी जा रही है।
हैरानी की बात तो ये है कि 7 सालों यानि 2014 में मप्र सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं का मानदेय बाल विकास परियोजनाओं से आहरित करने पर रोक लगा रखी है और इसकी जिम्मेदारी जिला परियोजना अधिकारी को सौंपी थी, जो सालों से ग्लोबल बजट से राशि निकालते रहे और दस्तावेजों में मानदेय देने की बात दर्शाते रहे।वही इस मामले को 3 साल हो गए है, लेकिन अबतक महिला एवं बाल विकास विभाग की जांच पूरी नहीं हो पाई है, जिस पर सीएम ने नाराजगी जाहिर की है।
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वही खुलासे के बाद भोपाल की 8 बाल विकास परियोजनाओं में गड़बड़ी के लिए परियोजना अधिकारियों को जिम्मेदार पाया गया था और उन्हें बहाल करने की भी तैयारी थी।वर्तमान में आरोपी सभी 8 अफसर व 2 क्लर्क सस्पेंड चल रहे हैं। इस संबंध में अब जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तलब की है। जल्द ही महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट सौंप सकता है। इसके बाद घोटाले में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर निर्णय होगा।