भोपाल| झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव जीते बीजेपी के जीएस डामोर सांसद बने रहेंगे। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने इस सम्बन्ध में एलान किया है| चुनाव परिणाम आने के बाद से ही डामोर के फैसले पर नजर थी, डामोर ने पार्टी पर ही फैसला छोड़ा रखा था| जिसको लेकर पार्टी में लम्बे समय से इस बात पर मंथन चल रहा था| वहीं बीजेपी के इस फैसले से कांग्रेस को राहत मिली है, क्यूंकि डामोर के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या कम हो जाएगी|
डामोर झाबुआ स���ट से विधायक थे, उनके विधायक पद छोड़ने के ऐलान के साथ ही मध्य प्रदेश में अब झाबुआ सीट पर उप चुनाव होना तय हो गया है। डामोर के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से सस्पेंस बना हुआ था कि वो विधान सभा सीट छोड़ते हैं या लोकसभा सीट। नियम के मुताबिक ऐसे हालात में चुनाव जीतने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़ना होता है। वहीं डामोर के विधायकी छोड़ने पर बीजेपी के 108 विधायक रह जाएंगे। वे झाबुआ से विधायक हैं और हाल ही में लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट से सांसद बने हैं। भाजपा ने झाबुआ से विधायक डामोर को रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को हराकर कांग्रेस की परम्परागत सीट पर कब्जा किया। फिलहाल सरकार बनने के बावजूद यहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर नहीं है।
कांग्रेस को राहत
भाजपा को केंद्र में सांसद से ज्यादा मप्र में विधायकों की जरूरत है। मप्र में भाजपा के पास सत्तापक्ष से 7 विधायक कम हैं। अब डामौर के विधायकी छोड़ने पर भाजपा के 108 विधायक बचेंगे। कांग्रेस के पास 113 विधायक हैं। जबकि सरकार को निर्दलीय, सपा, बसपा समेत 120 विधायकों का समर्थन है। सत्र में शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी विधायक हो जाएंगे। डामोर के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला कांग्रेस के लिए राहत भरा है| इसकी वजह ये है कि 230 सदस्यों वाली विधानसभा में डामोर के इस्तीफे के बाद 229 सदस्य बचेंगे। इसमें स्पष्ट बहुमत के लिए 115 सदस्य कांग्रेस सरकार के पास हैं। कांग्रेस के लिए यह राहत तब तक बनी रहेगी, जब तक उपचुनाव नहीं हो जाता। ऐसे हालात में कांग्रेस सरकार को बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह 115 विधायकों के साथ बहुमत में होगी। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के कैबिनेट में होने के कारण कांग्रेस के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है। वहीं कांग्रेस के लिए एक मौक़ा है, डामोर के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। संसदीय विशेषज्ञों की मानें तो यदि इस उपचुनाव में कांग्रेस जीत गई तो वह 116 विधायकों के साथ स्पष्ट बहुमत में आ जाएगी।