भोपाल। विधानसभा चुनाव की तरह इस बार लोकसभा चुनाव भी भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ है। सत्ता परिवर्तन से समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।प्रदेशभर में कांग्रेस की लहर के चलते कई सीटे भाजपा के हाथों से खिसकती हुई नजर आ रही है। वर्तमान में 26 सीटों में से करीब 16 सीटों पर भाजपा के लिए जीतना मुश्किल होता दिखाई दे रहा है। यह बात संघ की रिपोर्ट से सामने आई है।
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनावों में भी संघ ने आधे से ज्यादा विधायकों के टिकट काटने की सलाह दी थी, लेकिन भाजपा ने इसे नहीं माना और अपने मन मुताबिक टिकट बांट दिए। जिसका नतीजा ये हुआ कि 15 साल बाद भाजपा के हाथों से सत्ता चली गई। जिसका असर अब लोकसभा पर पड़ना तय माना जा रहा है। जिसके चलते भाजपा ने फिर संघ का सहारा लिया है । भाजपा ने संघ से वर्तमान में संसदीय क्षेत्रों का फीडबैक लिया है। संघ द्वारा बीजेपी को सौंपी गई रिपोर्ट से सामने आया है कि 16 सीटों पर माहौल सांसदों के पक्ष में नही है। अगर इनका टिकट नही काटा गया तो भाजपा को फिर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। संघ ने 26 में से करीब 16 सांसदों के टिकट काटने की सिफारिश की है। संघ का मानना है कि इन सांसदों के खिलाफ जनता के बीच गुस्सा बहुत ज्यादा है, यदि इन्हें फिर से टिकट दिया गया तो हालात मुश्किल हो सकते हैं।विधानसभा चुनाव के दौरान कई जगहों पर इन सासंदों के खिलाफ प्रदर्शन और नाराजगी साफ देखी गई, पिछले पांच साल में ये अपने क्षेत्र में बहुत कम सक्रिय रहे, अगर इन्हें फिर से मौका दिया गया तो स्थिति विधानसभा जैसी बन सकती है।
खबर है कि विधानसभा में मिली हार के बाद भाजपा कोई जोखिम नही उठाना चाहती, इसलिए संघ की फिर मदद ले रही है।हालांकि लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति तय करेगी। राज्य चुनाव समिति प्रत्याशियों का पैनल केंद्र के पास भेजेगी। इसके लिए प्रदेश में रायशुमारी भी हो सकती है।
टिकट पर संकट
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का अपने संसदीय क्षेत्र में काफी विरोध है, हालांकि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं जिसके चलते विदिशा सीट पर इस बार पार्टी चेहरा तलाश रही है| वहीं खजुराहो से सांसद नागेंद्र सिंह, खरगोन सांसद सुभाष पटेल, मुरैना सांसद अनूप मिश्रा सहित अन्य शामिल हैं। नागेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव लड़े थे और नागौद से विधायक चुने गए हैं। इसलिए अब उनके चुनाव लड़ने की उम्मीदें न के बराबर हैं।प्रहलाद पटेल सहित कुछ केंद्रीय मंत्री भी अपनी लोकसभा सीट बदलना चाहते हैं। चुनाव के दौरान विधानसभा में प्रहलाल पटेल का आना-जाना तो रहा लेकिन क्षेत्र में पलायन, पेयजल संकट, किसानों की समस्याओं को वे दूर नहीं कर सके। जिसको लेकर जनता उनका भी विरोध कर सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीमार होने से संभावना जताई जा रही है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगी।उमा भारती पहले ही मना कर चुकी है।।बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में राज्यमंत्री वीरेंद्र खटीक पिछले एक दशक से टीकमगढ़ के सांसद हैं। लेकिन लगातार उनके और जनता के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। लोकसभा क्षेत्र के सांसद अपने लोगों के बीच में रहते तो हैं, लेकिन उल्लेखनीय कार्य नहीं कर पाते। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार भी यहां कोई बड़ी योजना नहीं ला पाए हैं। उनके पास इस बार जनता के बीच जाकर अपने उपलब्धियां गिनाने के नाम पर सिर्फ महामना एक्सप्रेस लाना को छतरपुर से शुरू करना ही जाता है। सूत्रों के मुताबिक इस बार वोटरों में उनके खिलाफ भारी नाराजगी है। विधानसभा चुनाव में भी उनका काफी विरोध हुआ था। बहरहाल इस सीट पर भाजपा के ही आरडी प्रजापति पिछले दो महीने से दिन रात चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उनके अलावा मंडी अध्यक्ष बृजेश राय, टीकमगढ़ से परवत लाल अहिरवार एवं उत्तरप्रदेश की भारती आर्य भी इस सीट पर निगाहें गड़ाए हुए हैं।