भाजपा के दिग्गजों को मिल रही कड़ी टक्कर, प्रदेशाध्यक्ष से लेकर पूर्व अध्यक्षों पर खतरा

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भोपाल। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के ज्यादातर प्रत्याशी 1 लाख से ज्यादा मतों से जीते थे, लेकिन इस बार गिनी-चुनी सीटों को छोड़कर जीत का अंतर हजारों तक सिमट जाएगा। कुछ सीटों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला है। जिनमें भाजपा के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को जबलपुर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को मुरैना और नंदकुमार चौहान को खंडवा में कांग्रेस प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। हालांकि खंडवा एवं मुरैना में कांग्रेस ने उन्हीं प्रत्याशियों को उतारा है, जिन्हें भाजपा के मौजूदा प्रत्याशी पिछले चुनावों में बड़े अंतराल से चुनाव हरा चुके हैं। 

मुरैना संसदीय क्षेत्र में भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व विधायक रामनिवास रावत को उतारा है। रावत चार महीने पहले विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इतना ही नहीं वे 2009 में भी तोमर के खिलाफ मुरैना से ही लोकसभा चुनाव लड़े थे, तब तोमर ने रावत को हराया था। वे इस बार फिर तोमर के खिलाफ चुनाव मैदान में है। लेकिन इस बार मुरैना संसदीय क्षेत्र के जातिगत समीकरण बिल्कुल बदले हुए हैं। यहां गुर्जर, ब्राह्मण समाज भाजपा से बेहद नाराज है। जिसकी वजह विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दोनों समाज के प्रतिनिधियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। वहीं पिछड़े वर्ग के अन्य समाज भी भाजपा से खफा है। जिसका नुकसान भाजपा को चुनाव में उठाना पड़ सकता है। हालांकि मुरैना से बसपा के टिकट पर हरियाणा के  पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना चुनाव मैदान में है, भाजपा से नाराज मतदाता खासकर गुर्जर समाज का वोट करतार के पक्ष में जाने से भाजपा को फायदा हो सकता है। पहले बसपा ने पूर्व सांसद रामलखन सिंह कुशवाह को उतारा था, लेकिन कुशवाह चुनाव लडऩे से पीछे हट गए। हालांकि इसके पीछे की वजह जातिगत समीकरण बताई जा रही है। 


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