सत्ता से बेदखल होते ही सिमट रही है भाजपा की ‘भीड़’

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भोपाल। प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल होते ही भाजपा का संगठन मप्र में कमजोर पडऩे लगा है। विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर अगले तीन महीने के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया था। जिसमें हर मोर्चां को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन मोर्चों के कार्यक्रमों से नेताओं ने पूरी तरह से दूरी बना ली है। यहां तक की मोर्चों के प्रदेशाध्यक्षों ने भी कार्यक्रमों के आयोजन में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। जिसकी वजह से भाजपा के कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप हो गए। 

प्रदेश भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद 20 दिसंबर को दो दिन तक बैठकों का आयोजन किया था। जिसमें पहले दिन संगठन के तीन महीने के कार्यक्रम तय किए। और अगले दिन की बैठकों में मोर्चों को दायित्व सौंपे गए। मोर्चों को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तय कार्यक्रमों के तहत थे भाजपा संगठन एवं मोर्चों को 25 दिसंबर अटलजी के जन्मदिवस से मैदान में उतरना था। नेताओं की अरुचि की वजह से सभी मोर्चा अपने कार्यक्रम आयोजित करने में पूरी तरह से फ्लॉप हो गए हैं।


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