भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 3 सालों से अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) को वैध करने का शिवराज सरकार (Shivraj Government) का सपना भले ही अधूरा रह गया हो लेकिन नियमितीकरण के लिए नियमों में संशोधन जरुर किया जाएगा। इस बात के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश में अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए अधिनियमों एवं नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
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दरअसल, नगरीय विकास और आवास विभाग (Urban Development and Housing Department) की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कहा है कि शहरी गरीबों के लिये रोजगार मूलक योजनाओं, जनकल्याण और आवास योजनाओं का क्रियान्वयन समय-सीमा में किया जाये। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश (Aatmanirbhar Madhya Pradesh) के अंतर्गत विभाग की कार्ययोजना को समय-सीमा में अमल में लाया जाये। प्रदेश में अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए अधिनियमों एवं नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
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मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सुशासन के लिये अधिनियमों-नियमों, कानूनों में आवश्यक सुधार किया जाये। इस कार्य को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाये। भवन निर्माण की अनुमति मिलने में लोगों को दिक्कतें होती है। ऐसी पारदर्शी प्रक्रिया बनायी जाये कि नियमों का पालन करते हुये नागरिकों को सरलता से शीघ्र भवन निर्माण की अनुमति मिले। नगरीय निकायों के राजस्व में स्वयं के स्त्रोतों से 43 प्रतिशत तक राजस्व मिलता है, इसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जायेगा।
स्वच्छता पर दें ध्यान, मप्र को मिले देश में पहला स्थान
बैठक में सभी नागरिक सेवाओं को ऑनलाइन (Online) करने, स्वीकृतियाँ देने आदि की जानकारी दी गयी। मुख्यमंत्री चौहान ने स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) की समीक्षा में निर्देश दिये कि इस कार्य में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) को देश में नम्बर एक स्थान मिले। नगरीय निकायों को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए प्ररित किया जाये। नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह (Minister Bhupendra Singh) ने बताया कि स्वच्छता मिशन पर कार्य के मूल्यांकन के लिये हर तीन माह में रैंकिंग तय की जायेगी।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए 33 बिन्दु और 5 रणनीति तैयार
बता दे कि सरकार द्वारा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप में विभाग ने 33 बिन्दु तथा पाँच रणनीतियां बनाई है। पहली रणनीति समावेशी शहरी विकास के अंतर्गत पांच लाख पथ विक्रेताओं को कार्यशील पूंजी के लिये ऋण दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे दिसम्बर 2023 तक हासिल किया जायेगा। वर्तमान में प्रदेश में एक लाख 80 हजार पथ विक्रेताओं को लाभान्वित किया जा चुका है। शीघ्र ही एक लाख पथ विक्रेताओं को लाभान्वित करने के लक्ष्य को हासिल किया जायेगा।
रसोई योजना पर जोर
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि दीनदयाल रसोई योजना (Deendayal Rasoi Yojana) को पुन: बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जाये। यह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रही है। प्रथम चरण में सभी जिलों में एक-एक इस प्रकार 52 दीनदयाल रसोइयां जनवरी (January) माह में शुरू की जायें। इसके लिये शासकीय मदद के साथ जनसमुदाय का सहयोग लिया जाये। द्वितीय चरण में 40 दीनदयाल रसोईयाँ शुरू की जायें। इस प्रकार कुल 100 दीनदयाल रसोईयाँ संचालित करने का लक्ष्य रखा जाये।
रोजगार स्थापित करने पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि रोजगार (Employment) शासन की प्राथमिकता में शामिल है। अत: रोजगारमूलक योजनाओं में प्रशिक्षण के साथ रोजगार स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया जाये। बैठक में बताया गया कि डे-एन.यू.एल.एम. योजना का प्रदेश के सभी 378 शहरों में विस्तार किया गया है।
एक लाख 50 हजार गरीब परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ने का लक्ष्य है। अब तक 21 हजार 750 परिवारों को जोड़ा जा चुका है।बताया गया कि प्रदेश के सात शहरों में स्टार्टअप (Startup) इन्क्यूबेशन सेन्टर का विकास किया जा रहा है। एक लाख बेरोजगार (Unemployed) युवाओं का कौशल विकास का कार्यक्रम निर्धारित है। भोपाल (Bhopal) और जबलपुर (Jabalpur) में ये सेन्टर स्थापित हो गए हैं। इंदौर में मार्च तक सेन्टर की स्थापना हो जायेगी। मार्च 2021 तक 30 हजार युवाओं के कौशल विकास की योजना है।
शहरी गरीबों के लिये आवास
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के तहत 378 शहरों में कम आय वर्ग के लोगों केलिये तीन लाख आवासीय इकाईयों के प्रदाय का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें से वर्तमान में 28 हजार इकाइयां पूर्ण हो गयी हैं।कम आय वर्ग के 30 हजार हितग्राहियों को 6 लाख रूपये ऋण 3-4 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जायेगा।10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में निजी भागीदारी से ई-व्हिकल चार्जिंग स्टेशन और लोक परिवहन (Transportation) के लिये चरणबद्ध ई-बसों के संचालन का लक्ष्य रखा गया है।
पर्यावरण संरक्षण के लिये विकास
49 शहरों में सीवरेज सिस्टम को कार्यशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ये शहर एक लाख से अधिक जनसंख्या (Population) वाले तथा अधिकतर नर्मदा नदी (Narmada River) के किनारे बसे हैं। इसी तरह सैनिटेशन में सभी 378 शहरों में से 350 शहरों ने ओडीएफ प्लस (ODF Plus) का स्टेटस हासिल कर लिया है। इंदौर (Indore) शहर के लिये वाटर प्लस स्टेटस को हासिल करने का मिशन बनाया गया है।