भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एक तरफ मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने ऐलान किया है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह से कक्षा 1 से 8वीं तक के स्कूलों (School Reopen) को खोला जाएगा वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान सामने आया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की सभी शालाओं (MP School) में प्रतिवर्ष संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार, महर्षि संस्थान, संस्कृत भारती, अन्य संस्थाओं और संतों के साथ मिलकर जन-जन तक संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रचार के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। मैं इस संस्कृत सप्ताह के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। हमारे वेद, ज्ञान, विज्ञान, शिल्प, कला, कौशल और अध्यात्म का भंडार हैं। दुनिया के अनेक देशों ने हमारे ग्रंथ का वैज्ञानिक अध्ययन कर अपने विकास और प्रगति के लिए कई चीजें निकाली हैं :
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मन में एक पीड़ा होती है कि हम पश्चिम के प्रभाव के कारण हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। मैं महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान एवं संस्कृत भारती मध्यप्रदेश को धन्यवाद देता हूँ जो संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं।यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष हो और शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को संस्कृत का ज्ञान हो, इसका प्रयास मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) करेगी। मैं संस्कृत सप्ताह(Sanskrit Week) के आयोजन के लिए सभी को बधाई देता हूँ।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संस्कृत भारती को बहुत-बहुत धन्यवाद। जिन्होंने अब तक 700 से अधिक स्थानों पर संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत कार्यक्रमों का आयोजन किया है। यह प्रयास संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने में सचमुच में मील का पत्थर साबित होंगे वेदों का सार है उपनिषदों में, उपनिषदों का निचोड़ है गीता जी। अगर हमारे बच्चे संस्कृत समझेंगे ही नहीं तो फिर हम उन्हें पीड़ी दर पीड़ी ज्ञान कैसे दे पाएंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर सचमुच बच्चे और बड़े संस्कृत समझ पाएं और ज्ञान के सागर में डुबकी लगा पाएं तो जिंदगी धन्य हो जाएगी। मन में एक तरफ पीड़ा भी होती है कि पश्चिम के प्रभाव में धीरे-धीरे हम अपनी परंपरा और संस्कृति को भूलते चले रहे हैंहमने देवारण्य योजना बनाई है। मध्यप्रदेश वन औषधि, जड़ी-बूटियों का भंडार है। योजना का उद्देश्य औषधियों का निर्माण करना है जिससे वनवासियों की आय बढ़े और हम वैद्य परंपरा को भी जीवित रख सकें।
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