मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद मंत्रियों के माथे पर चिंता की लकीरें

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भोपाल। लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है ओर इस तैयारी में प्रदेश के मंत्रियों के ऊपर काफी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंत्रियों से साफ तौर पर कह दिया गया है कि लोकसभा चुनाव में जिताने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है अब आप इस दिशा में किस तरह काम कर सकते है यह आपको तय करना है, लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जनता के बीच जाकर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन की चाल भी नहीं बिगड़ना चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस दिशा निर्देश के बाद कई मंत्रियों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई है।

प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस को सत्ता में बैठने का मौका मिला है, लेकिन इस बार कांग्रेस के पास जो मंत्रियों की टीम है उसमें से अधिकांश युवा है जिसका लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उपयोग करना चाहती है। कांग्रेस के युवा मंत्री वर्तमान में खासी मेहनत कर अपनी अलग छवि बनाने में जुटे हुए है जिसके कारण फिलहाल कांग्रेस का ग्राफ प्रदेश में बेहतर नजर आ रहा है। अब लोकसभा चुनाव के लिए अगले माह घंटी बज सकती है, ऐसे में कांग्रेस ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी 8 फरवरी को भोपाल में आभार रैली कर चुनावी बिंगुल फूंक चुके है। इसके बाद उन्होने सभी प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्षो को दिल्ली में बुलाकर साफ तौर पर कह दिया है कि इस बार कांग्रेस को सिर्फ ओर सिर्फ आक्रमक रूख अपनाकर काम करें। इस दिशा निर्देश के बाद कांग्रेस अब पूरी तरह से आक्रमण होकर भाजपा पर वार करने लगी है। प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस के पास सिर्फ 3 लोकसभा सीटे है जबकि भाजपा के पास 26 सीटे है। इस बार कांग्रेस 26 सीटो को टारगेट बनाकर अपनी रणनीति बना रही है, लेकिन भाजपा की चाल आगे किस तरह से चल सकती है इसको भी कांग्रेसी ध्यान में रख रहे है। यही कारण है कि मंत्रियों के ऊपर इस बार तिहरी जिम्मेदारी डाल दी है।

प्रदेश के मंत्रियों को साफ कह दिया गया है कि लोकसभा चुनाव में हरहाल में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करना है इसलिए अभी से अपने काम में जुट जाएं। सूत्र का तो यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री ने मंत्रियो से साफ बोल दिया है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद तय होगा कि आगे किस मंत्री को रखा जाएं ओर किसको बाहर किया जाएं। उस बैठक के बाद से ही कई मंत्रियों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई है, लेकिन अब प्रभार वाले जिले के साथ ही गृह जिला एवं जनता के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं के क्रियान्वय को भी देखना होगा। अब मंत्रियों के सामने यह समस्या आ गई है कि लोकसभा चुनाव के लिए समय काफी कम है ओर कई मंत्री तो ऐसे है अपने प्रभार वाले जिले में सिर्फ एक बार ही पहुंचे है ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि वह प्रभार वाले जिले में अपने कितना प्रभाव बनाकर कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते है। अब कुछ मंत्री इस मामले में काफी भाग्यशाली है, क्योंकि उनको ऐसे जिले का प्रभार दिया गया है जहां से कांग्रेस काफी मजबूत है। इसमें शिवपुरी एवं गुना का प्रभार पाने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं इमरती देवी को अपने प्रभार वाले जिले में कम मेहनत करना पड़ सकती है, क्योकि गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस की तरफ से संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है।


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