CM कमलनाथ और बेटे नकुलनाथ ने मंदिर में की पूजा, फिर एक साथ भरा नामांकन

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छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा उपचुनाव और उनके बेटे नकुलनाथ लोकसभा चुनाव के लिए आज छिंदवाड़ा में एक साथ अपना नामांकन पत्र दाखिल किया|  यह पहला मौका होगा जब पिता-पुत्र एक ही जगह से दो अलग अलग चुनाव लड़ेंगें । नामांकन दाखिल करने से पहले सीएम ने मंदिर में पूजी की और फिर रैली की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचे| नामांकन भरने से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सपरिवार शिकारपुर स्थित मंदिर पहुंचे जहां विधि विधान से पूजा की और आशीर्वाद लिया| नामांकन के बाद अब रैली निकाली गई, जो दशहरा मैदान तक पहुंची। जहां कमलनाथ और नकुल नाथ ने शक्ति प्रदर्शन किया।

बीजेपी से छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिये  विवेक साहू और लोकसभा के लिये  नत्थनशाह कवरेती ने सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। नत्थन बीजेपी की तरफ से नकुलनाथ को चुनौती देंगें। नत्थन शाह जुन्नारदेव सीट से बीजेपी के विधायक रह चुके हैं। 2013 के चुनाव में नत्थन शाह ने कांग्रेस के सुनील उईके को 20 हजार मतों से शिकस्त दी थी। इधर विवेक साहू  मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ  मैदान में उतरेंगें। यहां पर पिछले पैंतीस सालों से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान के मुख्यमंत्री कमलनाथ सांसद के तौर पर जीत दर्ज करवाते आए हैं। केवल एक बार उन्हें हार मिली थी, उन्हें सुंदरलाल पटवा ने हराया था। इसके बाद यह सीट मानों कांग्रेस के लिए अभेद गढ़ बन गई है।

पिता-पुत्र का पहला चुनाव

लोकसभा में नौ बार सांसद रहे कमलनाथ पहली दफा विधानसभा चुनाव में उतर रहे हैं जबकि नकुलनाथ भी पहली दफा चुनावी राजनीति में उतरते हुए अपने पिता की परम्परागत सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कमलनाथ वर्ष 1980 से छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ को नियमानुसार छह माह के अंदर प्रदेश विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना आवश्यक है। छिंदवाड़ा विधानसभा सीट के विधायक दीपक सक्सेना के इस्तीफा देने के बाद रिक्त सीट के लिये उपचुनाव कराना पड़ रहा है। सक्सेना ने कमलनाथ के लिये सीट खाली की है। यदि कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से विजयी होते हैं तो वह अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में वह पहली दफा विधायक बनेंगे।

कमलनाथ बेटे को दे सकेंगें वोट लेकिन नकुल नही

कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद रहे है और अब बेटे औऱ खुद के लिए वोट की लोगों से अपील कर रहे है। दोनों एक साथ सभाएं और दौरे कर रहे है।  खास बात ये कि कमलनाथ  अपने बेटे नकुल को वोट दे पाएंगें, लेकिन नकुल अपने पिता कमलनाथ को वोट नही कर पाएंगें।इसके पीछे वजह यह है कि कमलनाथ का निवास शिकारपुर छिंदवाड़ा शहर के समीप ही है, लेकिन तकनीकी रूप से वह सौंसर विधानसभा के दायरे में आता है। इसलिए कमलनाथ और उनका परिवार सौंसर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं, जबकि कमलनाथ स्वयं छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं। इस तरह कमलनाथ स्वयं अपने लिए भी वोट नहीं दे पाएंगे और नकुल भी उन्हें वोट नहीं कर पाएंगे, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए कमलनाथ अपने पुत्र कांग्रेस प्रत्याशी नकुल को जरूर वोट दे सकेंगे।

विधानसभा में सातों सीटों पर रहा कांग्रेस का कब्जा

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र की सातों विधानसभा सीट पर करीब साढ़े तीन महीने पहले हुए चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराया था। इसलिए कांग्रेस यहां पूरी तरह आत्मविश्वास से लबरेज है।छिंदवाड़ा में एक नारा काफी चर्चित रहा है- ‘कमलनाथ एक आंधी है, छिंदवाड़ा का गांधी है’। कमलनाथ छिंदवाड़ा को रोल मॉडल के रूप में पेश करते हैं, विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कहा था कि पूरे प्रदेश में छिंदवाड़ा मॉडल लागू करेंगे। तकरीबन25 लाख की जनसंख्या वाली इस लोकसभा सीट में विधानसभा की सात सीटें है. जिसमें से दो सीट सौंसर और पांढुर्णा महाराष्ट्र यानी नागपुर से लगी है, इसके अलावा परासिया, जामई और अमरवाडा, चौरई में आदिवासी समाज बहुतायत से है। यहां पर 38 प्रतिशत आदिवासी, सामान्य 10 प्रतिशत, 35 ओबीसी, एससी 12 प्रतिशत, 11 प्रतिशत सामान्य, 5 प्रतिशत मुस्लिम और अन्य जाति के लोग निवास करते हैं।


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