भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ मंगलवार को प्रदेश के कलेक्टरों से वीडियो कांन्फ्रेसिंग के जरिए रूबरू हुए। उन्होंने प्रदेश में बढ़ते अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर सख्ती दिखाई। सभी कलेक्टर और एसपी से उन्होंने साफ दो टूक कह दिया कि अगर किसी भी तरह की कोई कानून व्यवस्था में कमी हुई तो इसके लिए कलेक्टर और एसपी भी जिम्मेदारी होंगे। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि कलेक्टर महीने में दो बार गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुनें और उनका मौके पर ही निराकरण करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में प्राप्त शिकायतों और समस्याओं का समाधान शत-प्रतिशत होना चाहिए। उन्होंने 10 जिलों के 12 लोगों की समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने हितग्राहियों से पूछा कि शिकायत दर्ज कराने से लेकर समाधान मिलने तक कितना समय लगा और किन-किन जगह विलंब हुआ। उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि शिकायतें आने पर ही निराकरण करने की संस्कृति को समाप्त करें। जिलों के सेवा प्रदाय तंत्र को ऐसा चुस्त दुरूस्त रखें कि शिकायतों की संख्या निरंतर कम होती जाए। उन्होंने कहा कि समय पर समाधान न करने वालों की जिम्मेदारी तय हो और उन पर की जाने वाली कार्यवाई की बुकलेट बनाई जाए ताकि लोगों को अपने दायित्व का भान हो सके। टीकमगढ़ के किसान दीनदयाल गुप्ता को 2017 की सूखा राहत की राशि नहीं मिलने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। कलेक्टर ने पूछने पर बताया कि जिले में 3325 किसानों को 55 लाख रुपये देना बाकी है। शहडोल के प्रभुलाल यादव को कर्मकार मंडल द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति समय पर न मिलने पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने ‘‘आपकी सरकार-आपके द्वार’’ कार्यक्रम के संबंध में उन्होंने कलेक्टरों से राज्य मुख्यालय को प्रत्येक माह रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने जिलों में खाद-बीज की उपलब्धता के संबंध में पूछा तो कलेक्टरों ने बताया कि खाद-बीज की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कई मुद्दों पर कलेक्टरों से बात की और निर्देश दिये। स्कूल चलें हम अभियान के अंतर्गत दाखिला मिले बच्चों के संबंध में नाथ ने कहा कि यह देखना होगा कि दाखिला लिये बच्चा किसी भी कारण से स्कूल नहीं छोड़े।