भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में कोरोना (corona) संक्रमण की रफ्तार के बीच स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। दूसरी लहर से संक्रमित की संख्या में जहां वृद्धि देखी जा रही है। वहीं मौत के आंकड़े भी तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की लचर स्थिति के बीच अब ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) ने स्थिति का जायजा लिया है।
बता दें कि बीते दिनों मध्यप्रदेश में सिंह तोमर से बात करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मरीजों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तोमर से कहा है कि संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराई जाए। तोमर को निर्देश देते हुए सांसद सिंधिया ने कहा कि ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आनी चाहिए। सरकार अपने स्तर से संभव प्रयास कर रही है लेकिन निजी और सरकारी अस्पताल में व्यवस्था के प्रयास हो रहे हैं या नहीं। इसके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) से भी प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्सीजन, दवाइयों और रेमिडिसिविर (remedisivir) इंजेक्शन की आपूर्ति लगातार होती रहनी चाहिए। जिससे इलाज के अभाव में किसी संक्रमित मरीजों की मौत ना हो। वहीं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश में 10 हजार रेमेडिसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था करेंगे। जहां प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में इंजेक्शन पहुंचाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि 30 अप्रैल तक सिंधिया अस्पतालों में इंजेक्शन की आपूर्ति करवा देंगे। इसके अलावा अगले महीने से 50000 से 1 लाख तक रेमेडीसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इसके अलावा सभी जिला अध्यक्ष और विधायकों से तत्कालीन हालात पर भी चर्चा की है।
बता दें कि इससे पहले अशोकनगर में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के 20 अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन की कमी हो रही थी। जिसके बाद यहां के क्षेत्रीय विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने सिंधिया को वास्तविक परिस्थिति से अवगत कराया। वहीं सिंधिया ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों से बात कर ऑक्सीजन का इंतजाम किया। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मुद्दे पर सीएम शिवराज से चर्चा की और उनसे मांग की है कि प्रदेश के सभी जिलों में लगातार ऑक्सीजन सहित जीवन रक्षक दवाइयां और इंजेक्शन की आपूर्ति होती रहे। जिससे मरीजों की जान को बचाया जा सके।