शिवराज सरकार का एक और बड़ा फैसला, जल्द शुरु होगी यह योजना

Pooja Khodani
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शिवराज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बीते महिनों प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने  गोधन संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ कैबिनेट (Cow Cabinet) का गठन किया था। पहली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में गायों को लेकर कई फैसले लिए गए थे। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने एक और फैसला किया है, जिसके तहत आगर के सालरिया गो-अभयारण्य (Agra’s Salaria Cow Sanctuary) और कामधेनू रायसेन (Kamadhenu Raisen) में गाय के गोबर और पराली से जैविक खाद और सीएनजी (CNG) बनाई जाएगी।

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दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस (CM House) में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है।इसमें भारत बायोगैस के अध्यक्ष भरत पटेल भी शामिल होने पहुंचे थे।इस बैठक में गुजरात की तर्ज पर MP में भी गोबर और पराली (नरवाई) से बायो सीएनजी और जैविक खाद बनाए जाने की योजना पर सहमति बनी। इसके लिए आगर के सालरिया गो-अभयारण्य और कामधेनू रायसेन को चुना गया है, जहां काम किया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गाय को गोबर और पराली को खाद बनाने में उपयोग किया जाएगा।गुजरात (Gujarat) का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां दोनों पर ही सफलतापूर्वक कार्य किया जा रहा है। मध्य प्रदेश भी गोबर तथा पराली से सीएनजी तथा बायो-फर्टिलाइजर्स उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से कार्य करेगा।खास बात ये है कि इसमें लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकी रोजगार (Employment) के अवसर भी खुल सके।

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शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आने वाले समय में गो-अभयारण्य सालरिया में गोवंश की संख्या में 4000 से बढ़ाकर 6000 की जाएगी और मध्यप्रदेश गो-शालाओं के संचालन के लिए अक्षय पात्र संस्था, गुजरात की भी सेवाएं ली जाएंगी।इस संस्था ने गुजरात में अपना बेहतर प्रदर्शन किया है और हम चाहते है कि मध्यप्रदेश को भी इसका लाभ मिले।

बता दे कि 22 नवंबर 2020 को गोपाष्टमी के अवसर पर राजधानी भोपाल में गौ कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश के आगर में गायों को लेकर रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा।इसमें पशु पालन, वन पंचायत व ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण विभाग को शामिल किया गया है।

ऐसे होगा काम

  • आगर के सालरिया गो-अभयारण्य और कामधेनू रायसेन में होगा काम।
  • इस योजना को तीन से पांच साल तक चलाया जाएगा।
  • इस प्लांट में रॉ-मटेरियल के रूप में प्रतिदिन लगभग 10 मी.टन गोबर एवं पराली के मिश्रण से प्रतिदिन 400 किलोग्राम बायो सीएनजी लगभग तीन मीट्रिक टन सॉलिड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तथा लगभग 1000 लीटर प्रतिदिन लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर बनाने की योजना है
  •  सालरिया गो-अभयारण्य में गोबर, पराली, घास और कचरा से प्रतिदिन लगभग 3000 किलोग्राम बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा
  • लगभग 25 टन ठोस और 700 लीटर जैविक खाद का उत्पादन होगा।
  • रायसेन में पराली और गोबर के मिश्रण से बायोगैस खाद बनाने के मॉडल प्लांट लगाए जाने की योजना ।
  • प्रतिदिन 400 किलोग्राम बायो सीएनजी, तीन टन ठोस और लगभग 1000 लीटर जैविक खाद बनाने की योजना ।
  • इन उत्पादों की देश और विदेश में ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने की योजना।
  • इसके माध्यम से रोजगार के अवसर खुलेंगे, स्थानीय लोगों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • 25 मीट्रिक टन सॉलिड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तथा लगभग 7000 लीटर लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का प्रतिदिन उत्पादन ।
  • विभिन्न प्रजातियों का पौधारोपण, बांस रोपण, ड्रैगन फ्रूट प्लांटेशन आदि भी किए जाएंगे।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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