भोपाल। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण को लेकर सियासी हल चल तेज़ हो गई है। सियासी खेमो��� में भितरघात का खतना बढ़ने से नए समीकरण सामने आ रहे हैं। अंतिम चरण की आठ सीटों पर मतदान होना है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपनों की बगावत से जूझ रहे हैं। जिनकों टिकट नहीं मिला उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बनाली है या फिर दिखावे के लिए मंच पर नजडर आ रहे हैं लेकिन जमीनी लड़ाई में दोनों दलों को रूठों का साथ नहीं मिल रहा है।
दरअसल, प्रदेश की कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस नेता अब तक टिकट वितरण और आपसी बैर के कारण चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हैं। इसका खामियाजा पार्टी को वोटिंग में भुगतना पड़ सकता है। इसलिए पार्टी के बीजेपी की और से संघ के नेताओं ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए कमान संभाल ली है। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत सहित पार्टी पदाधिकारी इस काम में जुटे हैं। वहीं, कांग्रेस के भी वरिष्ठ नेता आपदा प्रबंधन में जुटे हैं।
रतलाम लोकसभ की आठ विधानसभा में से सात पर बीजेपी का कब्जा है। यहां से सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन खंडवा, खरगोन, देवास, उज्जैन, धार, रतलाम-झाबुआ, मंदसौर और कमोबेश इंदौर में दोनों ही दलों को भितरघात का खतरा सता रहा है। इसलिए जहां जिस दल को जीत का भरोसा है वहां जीत हार के समीकरण बदल रहे हैं।
इंदौर सीट पर बीजेपी नेता नखुश
इंदौर सीट पर वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन का टिकट कटने के बाद से यहां बीजेपी नेताओं में काफी नाराज़गी है। खुद ताई भी चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं है। उनके समर्थक भी प्रचार में दूरी बनाए हुए है। पार्टी ने यहां से इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे शंकर लालवानी को प्रत्याशी उम्मीदवार बनाया है। उनकी उम्मदीवारी से काफी बीजेपी नेता खफा हैं। वह खुलकर तो सामने नहीं आ रहे है लेकिन शंकर के लिए चुनाव प्रचार में भी नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं. कांग्रेस ने लगातार हार रहे पंकज संघवी पर एक बार फिर भरोसा किया है। ताई मोदी लहर में इस सीट पर चार लाख से अधिक वोटों से जीती थीं। लेकिन इस बार मोदी लहर का प्रभाव कम है। वहीं इंदौर में ताई के हट जाने से भी बड़ा खेमा नाराज है। जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि बीजेपी का गढ़ बन चुकी इंदौर सीट पर कांग्रेस ने मुकाबले में वापसी कर ली है ताई के आकर्षण में महाराष्ट्रीयन वोट भाजपा के साथ जुड़ा था उसमें अब सेंधमारी के प्रयास हो रहे हैं।
दबी जुबान हो रहा विरोध
मंदरौस लोकसभा में इस बार भी सीधा मुकाबले बीजेपी और कांग्रेस में है। यहां से बीजेपी ने सुधीर गुप्ता को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन पर दांव लगाया है। दोनों ही दलों में खुलकर विरोध सामने नहीं हो रहा है। लेकिन गुप्ता को लेकर स्थानीय स्तर पर नेताओं में नाराजगी है। जो चुनाव नतीजे प्रभावित कर सकती है।
धार और रतलाम में भी फंसा पेंच
मालवा में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। यहां से कई सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया। पार्टी को लोकसभा चुनाव में भी काफी उम्मीदें हैं। बीजेपी ने धार लोकसभा से पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार को ही मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने दिनेश गिरवाल को उम्मीदवार बनाया है। यहां से वर्तमान सांसद सावित्रि ठाकुर का टिकट काटा गया है। वह अपने टिकट कटने का अफसोस अबतक कर रही हैं। दूसरी ओर कांग्रेस में बिखराव की स्थिति है। यहां नेता एक जुट नहीं हो पा रहे हैं। रतलाम भी बीजेपी को बड़ा चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। उपचुनाव में रतलाम सीट कांग्रेस के खाते में वापस आ गई थी। जिसे बीजेपी दोबार अपने पाले में करने के प्रयास कर रही है। रतलाम-झाबुआ सीट पर भाजपा ने विधायक जीएस डामोर पर दांव खेला है उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज व मौजूदा सांसद कांतिलाल भूरिया से है। यहां भाजपा की तुलना में कांग्रेस के सामने गुटबाजी की चुनौती ज्यादा है।